Sunday, 2 February 2014

किस्मत ने साथ दिया

किस्मत ने साथ दिया 

मेरा नाम अविनाश है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 21 वर्ष है, मैं दिखने में काफी अच्छा लगता हूँ। बहुत सी लड़कियों को मेरा लंड बहुत पसंद आया है जो 7 इंच लम्बा और अच्छा खासा मोटा है।

बात मेरे 18वीं बर्थडे पार्टी की है जो कि हम मेरे दोस्त राहुल के घर पर कर रहे थे क्यूँकि उसके मम्मी पापा 3 दिन के लिए कहीं बाहर शादी में गए थे, पार्टी में हम छः लोग थे, उनमें राहुल के चाचा की लड़की स्नेहा उसी दिन ही दिल्ली से जयपुर घूमने आई थी !

स्नेहा 19 वर्ष की थी, उसको देख कर मैं पागल सा हो गया, उसके कूल्हे तो मैं देखता ही रह गया लेकिन क्या कर सकता था। मेरे अनुसार उसका आकार 34-30-34 था। मैंने उसको 2 वर्ष पहले आखिरी बार देखा था लेकिन अब वो फाड़ू माल बन गई थी।

हमने केक काट कर पार्टी शुरू की, हम ड्रिंक कर रहे थे पर स्नेह ड्रिंक नहीं करती थी, मेरे जोर देने पर उसने हाँ कर दी और वो मेरे साथ सोफे पर बैठ कर ड्रिंक करने लगी जिस कारण वो मुझसे बार बार छुए जा रही थी। तभी गलती से मेरा पैर उसको लग गया, मैंने उसको सॉरी कहा तो वो मुझे घूर घूर कर देखती रही...

मेरे दूसरे दोस्त भी उसको लाइन मार रहे थे पर आज उनकी किस्मत कहाँ अच्छी थी..

तभी हमारी कोल्ड ड्रिंक और बर्फ़ ख़त्म हो गई और होटल से भी खाना लाने का समय हो गया था तो दो जने बर्फ़, कोल्ड ड्रिंक और दो फलोग खाना पैक करवाने चले गए।

अब घर में मैं और स्नेहा थे, दोनों बातें करते हुए टीवी पर मूवी देखने लगे जिसमें चुम्बन दृश्य चल रहा था, मुझे एक विचार सूझा...

मैंने स्नेहा से कहा- मेरा गिफ्ट कहाँ है?

स्नेहा- बताओ, क्या लोगे?

मैंने कहा- बुरा न मानो तो बता दूँ?

स्नेहा- जरूर ! आज तुम्हारा बर्थडे है यार...!

मैंने हिम्मत कर के कह दिया- मैं तुम्हें किस करना चाहता हूँ।

स्नेहा थोड़ी हंसी और फिर कहा- आज तुम्हारा बर्थडे है, मैं इतना तो कर सकती हूँ !

मैंने उसको गाल पर चूम लिया और फिर वो पास आई और मेरे गाल पर जोर से काटते हुए उसने मुझे किस किया !

मेरे मुँह से दर्द के कारण थोड़ी आवाज निकल गई...

स्नेहा बोली- सॉरी...! अब हिसाब बराबर हो गया, मुझे भी इसी मौके की तलाश थी।

मेरा लंड महाराज ज्वालामुखी की तरह फटता जा रहा था कि तभी स्नेहा सोफे पर मेरे पैरों पर लेटते हुए मुझसे बात करने लगी।

मुझे थोड़ा डर लग रह था लेकिन थोड़ी देर में उसको भी मेरे लंड का उफान महसूस हो गया, वो उठ कर पहले मुझे, फिर मेरे लंड के कारण पैंट का उभार देखने लगी और कहा- बर्थडे गिफ्ट तो पूरा लिया ही नहीं तुमने...!

और फिर वो थोड़ा पास आई और मुझे होंठों पर चूमने लगी, मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था कि अचानक हम सोफे से नीचे गिर गए

मेरा एक हाथ उसके मोटे मोटे बोबों को ऊपर से ही दबा रहा था और हम पागलों की तरह किस किये जा रहे थे।

मैं उसके रसीले होंठों में डूबता चला जा रहा था कि तभी दरवाजे की घण्टी बजी।

मैंने कहा- लगता है कि वो सब वापस आ गए हैं !

'साले कुत्ते गलत टाइम पर आये !' मैं मन ही मन उनको गालियाँ दे रहा था।

हमने अपने आप को सही किया और गेट खोला...

अन्दर आकर वो सब फिर से ड्रिंक करने लगे लेकिन अब हम दोनों ड्रिंक नहीं कर रहे थे सिर्फ एक दूसरे को देखते ही जा रहे थे। पता ही नहीं चला कि कब 12 बज गये तब हम सबने साथ में बैठ कर खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे।

राहुल और स्नेहा एक कमरे में सोने चले गये और मेरे दो दोस्त दूसरे कमरे में जाकर सो गये, मैं चूतियों की तरह अपनी गांडू किस्मत पर रो रहा था और सोफे पर बैठा बैठा टीवी देखने लगा।

लेकिन शायद आज मेरी किस्मत अच्छी थी, तभी राहुल तेज़ी से आया और बाथरूम में गया और उल्टी करने लगा वो दो बार उल्टी करने आ चुका था तो मैंने उससे कहा- तू सोफे पर सो जा क्यूकि यहाँ से बाथरूम बिल्कुल पास है।

उसे थोड़ी देर में नींद आ गई और मैं कमरे में गया, दरवाजा अन्दर से बंद किया और स्नेहा के पास जाकर लेट गया।

वो सो चुकी थी तो मैं उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके कबूतर यानि चूचियाँ दबाने लगा।

मैंने एक हाथ टी-शर्ट के अन्दर दल दिया, तभी उसकी नींद खुल गई और वो मुझे होंठों पर किस करने लगी। हम तेज़ी से एक दूसरे के कपड़े खोल रहे थे, अब हम सिर्फ छोटे कपड़ों में थे।

मैं उसके मोटे मोटे उरोज देख कर पागलों की तरह उनको चूसने लग गया जो ब्रा से बाहर आने को बेताब थे। मैंने जैसे ही ब्रा खोली वो गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खुल कर मेरे सामने आ गये।

मैं एक बोबे को चूस रहा था तो दूसरे को हाथ से जोर जोर से मसल रहा था, तभी उसका एक हाथ मुझे मेरे लंड पर महसूस हुआ जो कि प्यार से मेरे लंड को सहला रहा था।

मैं दस मिनट तक उसको बोबों और होंठों पर चूमता रहा, उसके मुँह से आआ आअ ऊऊउ उम्म्म्म हूऊऊऊ हम्मम्म आअ ऊऊऊ की मादक आवाज आ रही थी..

उसको चूमता हुआ मैं नीचे आ गया और उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत की मन मोहक खुशबू को सूंघता रहा और फिर उसकी पैंटी को खींच कर उसकी जांघों से अलग कर दिया... उसकी चूत पर एक बाल भी नहीं था और वो गीली हो रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं उसकी चूत को चाटता रहा और फिर हम 69 की अवस्था में आ गये और वो मेरा लंड और मैं उसकी चूत को भूखे बच्चे की तरह चूसते रहे !

मैं उसकी चूत को चूसता जा रहा था कि तभी उसने मुझे अपने पैरों से जोर से अपनी चूत में दबा दिया और उसने सारा रस मेरे मुँह में डाल दिया जिसको मैं बड़े प्यार से पूरा के पूरा चाटता गया। फिर मैं उसकी चूत को जीभ से चोदने लग गया... मुझे भी लग रहा था कि मैं भी झड़ने वाला हूँ और मैंने सारा माल उसके मुँह में निकाल दिया, वो उसे बच्चे की तरह उसे दूध समझ कर पी गई।

मैंने उसको उल्टा लेटा दिया और उसकी गांड और चूत को चाटने लग गया, पूरा कमरे में आअअ हूऊ ऊऊ ऊऊ हूऊउ हम्म्म्म आआअ की आवाज गूंज रही थी।

मैं उसकी चूत को अंगुली से चोदता हुआ चाट रहा था और एक हाथ से उसकी गांड को जोर जोर से दबा रहा था। इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी, चूत से निकला सारा अमृत मैं पी गया अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था।

स्नेहा बोली - जान ! अब रहा नहीं जा रहा...! चोद डाल मुझे, फाड़ डाल मेरी चूत...

मैंने उसको सीधा किया और दोनों पैरों को चौड़ा किया और लंड को उसकी चूत के ऊपर फ़िराने लग गया।

मैंने लंड को चूत के छेद पर रखा और थोड़ा सा धक्का मारा, स्नेहा ने आआअ ऊऊऊ की आवाज के साथ मुझे रोक लिया..

मैंने उसे होंठों पर किस किया और एक जोर का धक्का मारा जिससे मेरा लंड आधे से ज्यादा अन्दर चला गया।

स्नेहा की आँखों में आंसू आ गये थे.. मैं उसके बोबों को दबाता रहा और धीरे धीरे लंड को धक्का देता रहा..

अब उसका दर्द थोड़ा कम हो गया था, वो भी गांड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी, उसके मुँह से आआअ उम्म्म ऊऊउ उम्म्म्म अह्हआआ हूऊ की आवाज तेज़ होती जा रही थी।

मैं भी अब तेज़ी से उसकी चूत को चोद रहा था, 20 मिनट तक मैं लगातार उसकी चूत को चोदता रहा, वो एक बार और झड़ चुकी थी। पूरा रूम में आआ उम्म औऊआआ हम्मम्म फच्छ फ्च्ह्ह की आवाज गूंज रही थी।

फिर मैंने स्नेहा को घोड़ी बनाया और चूत को चाटने लग गया, चूत चाटने से हमारा नशा बढ़ता जा रहा था... मैंने उसकी गांड में अपना लंड डाला और तेज़ी तेज़ी से धक्के लगाने लगा।

स्नेहा- फ़क मी ! चोद दे ! आआअ यम्मी आअ उम्माआम्म्म्आ आअहाआहाआ...

कमरा इस आवाज से मदहोश हो गया था, उसकी चूत की तरह ही हमारा मुँह भी लाल हो गये थे।

उसकी फ़ुद्दी बहुत तंग थी जिस कारण उसको चोदने में ज्यादा मजा आ रहा था। उसकी हालत ख़राब होती जा रही थी। मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपना लंड गांड में से निकाल कर उसके मुँह में दे दिया, वो मेरे लंड को चूसते हुए मेरा सारा माल पी गई, हम दोनों थक गये थे, मैं थोड़ी देर बगल में लेट कर उसको होंठों पर किस करता रहा।

उस रात हमने 3 बार अलग अलग तरीके से चुदाई की...!!

सुबह मेरी 8 बजे नींद खुली देखा तो हम दोनों नंगे पड़े हुए थे.. इच्छा तो एक बार और उसकी मारने की हो रही थी पर क्या करें सुबह हो गई थी, मैंने उसे कपड़े पहनाये और किस किया..

मैंने कहा- बर्थडे गिफ्ट के लिए थैन्क्स...! यह मेरा सबसे अच्छा बर्थडे रहा...

और मैं फ़्रेश होने चला गया, सबके लिए चाय बना कर लाया और सबको उठाया।

उम्मीद है कि आप सबको मेरी यह सच्ची कहानी पसंद आई होगी... अपने सुझाव और विचार मुझे जरूर मेल करें !

सेक्सी चुदाई टूर

सेक्सी चुदाई टूर

मेरा नाम नयन है, दिल्ली का रहने वाला हूँ। सभी को मस्त करने के लिए मैं ये कहानी लिख रहा हूँ। यह कहानी पूरी तरह से सच है।

बात उस समय की है जब मैं अपने कॉलेज के दूसरे वर्ष में था। मेरी क्लास में एक बहुत ही सुंदर लड़की पढ़ती थी जिसका नाम था सोनिया (बदला हुआ)। उसका फ़िगर 34-30-34 का था। मैं उस लड़की से मन ही मन में बहुत प्यार करता था लेकिन उसको बताने से बहुत डर लगता था की कहीं वो शिकायत न कर दे।

हमारी क्लास के सभी लड़कों की उस पर नजर थी। लेकिन वो एक बहुत ही नेक लड़की थी इन सब बातों से बिल्कुल दूर।

कुछ समय यों ही बीत गया। फिर एक बार हमारे कॉलेज का टूर मसूरी जाने का कार्यक्रम बना। उसमें बहुत से लोग जाने वाले थे। निश्चित दिन को हम सब लोग बहुत बस में पहुँच गए। मैं दो वाली सीट पर अकेला बैठा था और वो किस्मत से मेरे पास आकर बैठ गई। मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्यूँकि सफर बहुत ही लंबा था और उससे बात करने का भी पूरा मौका था।

थोड़ी देर के बाद उसको नींद आ गई और उसने नींद में ही अपना सिर मेरे कंधे। पर रख लिया। मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन बस में झटके लगने के कारण वो जाग गई और उसने मुझसे सोरी कहा।

मैं- सोरी की जरूरत नहीं है, आप आराम से सो सकती हैं।

सोनिया- मुझे सफर में नींद आ जाती है और कुछ पता ही नहीं चलता।

इस तरह से धीरे धीरे हम इधर उधर की बातें करने लगे। थोड़ी ही देर में वो मुझसे खुल गई। मैंने भी बातों बातों में उसे छू लिया जिस का उसने कोई विरोध नहीं किया। मेरा साहस और बढ़ गया। जैसे ही हम मसूरी के पास पहुँचने लगे, उसे सर्दी लगने लगी और उसने कंबल ओढ़ लिया और मुझ पर भी डाल दिया। अब मैं उसे कंबल के अंदर से छूने लगा। मेरा लंड खड़ा होने लगा था। इस तरह तड़पते हुए हम मसूरी पहुँच गए और हमने होटल बुक कर लिया।

हम सबने साथ में डिनर किया। वो मेरे पास आई ओर थोड़ी देर सैर के लिए पूछा। मैंने हाँ कर दी।

रास्ते में मैंने उसे कहा- मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ, अगर तुम बुरा न मानो तो।

सोनिया- कहो !

मैं- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं तुम्हें चाहने लगा हूँ।

सोनिया- मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा।

मैं- तो अब सोच लो, मैं तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करूँगा।

फिर हम वापिस आ गए।

मैं अगले दिन का बहुत बेताबी से इंतज़ार करने लगा। जैसे ही सुबह हुई मैं तैयार होकर उसके जवाब का इन्तज़ार करने लगा।

उसने हाँ कर दी थी। मैं खुशी के मारे उछल पड़ा था।

फिर हम 3 दिन तक एक दूसरे के साथ घूमते रहे। अब मैं उसे कहीं भी छू लेता था तो उसे प्रोब्लम नहीं होती थी। फिर एक दिन मैंने उसे एकांत में चूम लिया, वो बहुत शरमा गई थी।

मैंने अगले दिन उसे चोदने की योजना बनाई। मैंने उसे कहा- कल जब सब लोग घूमने चले जाएँगे तो हम होटल में ही रुक जाएँगे।

वो मान गई।

अगले दिन जैसा तय हुआ वैसे ही किया। हम होटल के एक कमरे में थे। उसने एकदम तंग नीले रंग का टॉप और जीन्स पहन रखी थी। उसके बड़े बड़े चूचे बहुत सेक्सी लग रहे थे। मैं उसके पास बैठा था और हम टीवी देख रहे थे। वो रिमोट के लिए मुझसे लड़ने लग गई और इस इस लड़ाई में मेरे हाथ कभी उसके बूब्स पर तो कभी उसके कूल्हों पर लग रहे थे। मैंने उसे अपने नीचे लेटा लिया और उसके दोनों हाथ पकड़ लिए थे। मैं धीरे से उसके ऊपर झुका ओर उसके होंठों को चूम लिया। वो सिस्कारने लगी।

मैंने एक और ज़ोर का चुम्बन किया तो उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। मैं धीरे धीरे उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा। फिर मैंने उसके चूचों को पकड़ लिया और दबाने लगा।

वो मस्त हो रही थी और आह ऊहह आई करने लगी।

मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया और कुछ देर बाद उसके टॉप को उतार दिया। उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी। फिर मैंने उसकी जीन्स भी उतार दी। उसने लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। अब वो एकदम गर्म हो चुकी थी। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी, वो कराह रही थी और कह रही थी- प्लीज कुछ करो, मुझे कुछ हो रहा है।

मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके चूचों को चूसने लगा। बहुत ही मजा आ रहा था।

उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी, धीरे धीरे मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत को देख कर तो मैं पागल ही हुए जा रहा था। मन कर रहा था कि अभी इसमें अपना लंड डाल दूँ लेकिन मैं जल्दी नहीं करना चाहता था।

फिर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। वो ज़ोर जोर से आई ऊई आहह करने लगी। कुछ देर उसकी चूत चाटने के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया।

फिर मैंने उसको दोबारा गर्म किया और कहा- अब मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डालूँगा। एक बार थोड़ा दर्द होगा, लेकिन बाद में बहुत मजा आएगा।

मैंने उसकी चूत पर अपना सुपारा रखा और रगड़ने लगा।

वो बोली- ऐसे मत सताओ प्लीज ! अंदर डाल दो।

मैंने धीरे से एक झटका मारा लेकिन अंदर नहीं गया। मैंने फिर कोशिश की। इस बार एक ज़ोर का झटका मारा और सुपारा अंदर चला गया। उसने चीखने की कोशिश की लेकिन मैंने उसका मुँह दबा लिया था। उसकी झिल्ली फट गई थी, खून भी आ रहा था। उसकी आँखों में आँसू आ रहे थे। मैंने उसको थोड़ी देर चूमा तो फिर वह अपने चूतड़ हिलाने लगी। मैंने एक और झटका मारा और आधा लंड अंदर चला गया। उसे अभी भी काफी दर्द हो रहा था। मैंने एक और झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया। अब मैं धीरे धीरे शॉट लगाने लगा। अब उसका दर्द कम हो गया था। वो भी अब अपने कूल्हे चलाने लगी थी।

कुछ देर इस तरह से चोदने के बाद मैंने उसे कुतिया बन जाने को कहा और उस पोजिशन में उसे चोदने लगा। पुच पुच की आवाज से कमरा गूंज रहा था। उसकी मादक सीत्कारें मुझे मदहोश कर रही थी। मैं ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा। वो भी बीच बीच में कहने लगी- फक मी जानू, फक मी हार्डर।

मैं उसे करीब 15 मिनट तक चोदता रहा। इस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी। मेरा भी निकलने वाला था। मैं ज़ोर ज़ोर से शॉट लगाने लगा और उसकी चूत मी झड़ने लगा। मेरा गर्म गर्म माल उसकी चूत में जाते ही वो भी एक बार और झड़ गई। मैं उसके ऊपर ही गिर गया। हम दस मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे। फिर मैं उसे बाथरूम ले गया। उससे चला भी नहीं जा रहा था। हमने एक दूसरे को साफ किया। जब तक बाकी लोग वापिस आए हमने तीन बार चुदाई की।

यह सिलसिला दो साल तक चलता रहा फिर उसकी शादी हो गई, मैंने एक नई गर्लफ्रेंड ढूंढ ली।

उसको मैंने कैसे चोदा। ये कहानी फिर कभी।

मैं शादीशुदा हूँ

मेरी मुनिया खूब लंड खाएगी 

मेरा नाम अमन कुमार, उम्र 20 साल, लुधियाना का रहने वाला हूँ, शरीर पतला है पर लंड तगड़ा है।

कुछ महीने पहले की बात है, मुझे मेरे बॉस ने कुछ कागजात दिए जो मुझे उनकी किसी परिचित महिला को देने थे। बॉस ने मुझे उसका नंबर दिया और मिलकर कागजात देने को कहा, मुझे इस काम में कोई रूचि नहीं थी क्यूँकि मुझे लगा कि वो कोई बूढ़ी महिला होगी।

मैं उसको मिलने गिल चौंक पहुँचा और उसका इन्तजार करने लगा। कुछ समय बाद एक जवान और सुन्दर महिला मेरे पास आई और पूछा- क्या आप अमन हैं?

मैंने कहा- जी हाँ !

उसने अपना नाम निशा अरोड़ा बताया और कहा कि मुझे उसको ही कागज देने है। यकीन मानिये दोस्तो, वो मेरी कल्पना से कहीं अलग बहुत ही ज्यादा सेक्सी औरत थी और उसके चूचे तो पहाड़ की तरह ऊँचे थे। उसे शायद लग गया कि मैं उसके चूचों को घूर रहा हूँ तो उसने कहा- देखिये, मुझे देर हो रही है, जल्दी से पेपर्स दे दो।

उसके चले जाने के बाद मैंने अपने आप को बहुत कोसा, कम से कम उस पर ट्राई तो करना चाहिए था। पर 'तब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत !'

मैंने भी अपनी बाइक उठाई और घर की तरफ चल दिया। रास्ते में हीमुझे फ़ोन आया, मैंने पिक किया तो यह उसी निशा का फोन था, मैंने पूछा- क्या हुआ मिस? कोई कागज कम है क्या?

उसने कहा- नहीं, ऐसे ही फोन किया था कि आप घर पहुँच गए !

मैंने कहा- नहीं !

"तो आप घर पहुँच कर कॉल करना, ओके !"

"ओके !"

मेरा दिल तो उछलने लगा था। क्यूँकि मेरी तो बिन मांगे मन की मुराद पूरी होने वाली थी। मैंने घर पहुँच कर उसे फ़ोन किया- हेलो मिस ! अब बताइए?

"आप मुझे मिस क्यूँ कहते हैं?"

"सोह्णी ते जवान कुड़ियाँ नु मिस ही कहंदे याँ !" (सुन्दर और युवा लड़कियों को मिस ही कहते हैं।)

वो चुप हो गई, फिर थोड़ी देर हमने इधर उधर की बातें की और उसने फ़ोन काट दिया। रात को मुझे उसका मेसेज आया- मुझे तुम्हें कुछ बताना है !

मैंने जवाब दिया- हाँ बताओ ना?

"मैं शादीशुदा हूँ !"

"फिर भी मुझसे रात को बात कर रही हो? क्यूँ?"

"पहले यह बताओ कि तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी अगर मैं तुम्हारी गर्लफ़्रेन्ड बन जाऊँ?"

"मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी पर तुम तो शादीशुदा हो, फिर क्यूँ?"

"थेंक यू सो मच ! वो मेरे पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाते न इसलिए !"

मुझे अपना काम बनता हुआ दिखा, हम दोनों फोन पर काफी खुल कर बातें करने लगे।

एक दिन मुझे उसका फोन आया- आज मुझे शॉपिंग करनी है, क्या तुम मेरे साथ आओगे?

"हाँ क्यूँ नहीं ! कहाँ आना है?"

"वेस्टेंड मॉल आ जाओ।"

मैं भी थोड़ी देर में मॉल पहुँच गया, वो मेरा इंतजार कर रही थी, क्या जबरदस्त माल लग रही थी ! टाईट गुलाबी टॉप और ब्लू जींस में तो उसके चूचे मानो बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे।

मैंने भी सोच लिया कि आज तो इसको चोदना ही है, मॉल में उसने काफी शॉपिंग की, उसके बाद वो एक महिला स्टोर में गई और अपने लिए ब्रा-पैंटी पसंद करने लगी, तीन सेट निकाल कर मुझसे पूछा- कौन सा लूँ?

मैंने कहा- पहन कर दिखाओ, तब बताऊँगा !

"आज घर में कोई नहीं है, वहाँ जितना मर्जी, उतना देख लेना !"

मेरा लण्ड तो उसकी बात सुन कर ही सलामी देने लगा।

कुछ देर बाद हम उसके घर के लिए निकले। उसका घर काफी अच्छा था, चार कमरे एक रसोई।

"घर तो तुम्हारा बहुत अच्छा है पर मुझे बेडरूम नहीं दिख रहा है?"

उसने मुझे अपने बेडरूम में बिठाया और बताया कि उसके पति तीन दिन के लिए बाहर गए हुए हैं।

"मतलब तुमने चुदने की पूरी तैयारी की हुई है?"

"हाँ मेरे राजा, आज तो मेरी मुनिया खूब लंड खाएगी !"

फिर वो फ्रेश होने चली गई, जब वो वापस आई तो नई खरीदी हुई ब्रा-पैंटी पहन कर आई। क्या बताऊँ दोस्तो, वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी, मैंने तो सीधा उसे बाहों में भरा और चूमना शुरू कर दिया, वो भी मेरा साथ देने लगी। उसने मेरी टीशर्ट उतार दी, मैं उसके बड़े बड़े चूचे ब्रा के ऊपर से ही दबा रहा था। फिर मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसके कबूतरों को आजाद कर दिया और उन्हें चूसने लगा।

वो मुँह से आह्ह...उफ्फ्फ़... की सिसकारियाँ भरने लगी, फिर उसने मेरी जींस उतारी और मेरा लंड चूसने लगी।

क्या बताऊँ दोस्तो, दुनिया में शायद ही कोई औरत इतनी अच्छी चुसाई करती हो, कभी वो मेरे लंड पर थूकती कभी उसे पूरा अन्दर ले लेती ! कभी हाथ से ऊपर नीचे करती, कभी केवल सुपारे पर अपनी जीभ फिराती, उसने इतनी अच्छी चुसाई की कि मैं उसके मुँह में ही झड़ गया।

"मैं तो झड़ गया वो भी इतना जल्दी !"

वो मेरा माल पीते हुए बोली- राजा, दूसरी पारी लम्बी खेलोगे ! पहली बार में एसा होता है, तुम मेरी मुनिया की चुसाई करो !

मैंने उसके इतना कहते ही उसकी पैंटी उतार दी, उसकी चूत एकदम गुलाबी थी और उसने शेव की हुई थी, मैंने पूरे जोश के साथ उसकी चुसाई शुरु कर दी, वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- जोर से ! और जोर से चूस...

काफी देर चुसाई करने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोर का झटका देकर पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।वो बहुत जोर से चिल्लाई- मर गयीईईइ... मार डालोगे क्या... आराम से चोदो, मैं कहीं भागे थोड़ी जा रही हूँ...

जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो मैंने भी अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी, दस मिनट बाद मैंने कहा- मैं आने वाला हूँ !

तो उसने कहा- मैं भी ! मेरी चूत में ही झड़ जाओ !

इतना कहते ही मेरा निकल गया और उसकी चूत मेरे माल से भर गई।

कुछ देर हम उसी तरह लेटे रहे, उसने मेरी छाती पे सर रख दिया और बोली- अमन आज तुमने मुझे बहुत मजा दिया है, थेंक यू !

जब मैं घर आने को तैयार हुआ तो उसने मुझे तीन हजार रुपये दिए और कहा- अब तुम मेरे जिगोलो हो, मैं तुमसे अपनी सहेलियों को भी चुदवाऊँगी और तुम्हें पैसे भी मिलेंगे।

मैं मुस्कुरा कर घर आ गया। उसके बाद से निशा को तो काफी बार चोदा है, उसकी एक सहेली को भी चोदा।

आगे आगे देखते हैं कि क्या होता है।
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30-32 साल की औरत

30-32 साल की औरत

हेलो दोस्तो, मेरा नाम रोनित है, मेरी उम्र 25 साल है, मैं एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजिनियर हूँ। बात एक साल पहले की है, एक दिन मैं दिल्ली में प्रिया हॉल में पिक्चर देखने गया था। पिक्चर तो दोस्तो एक बहाना था ताकि मुझे वहाँ पर कोई शादीशुदा या कोई छोटी उम्र की लड़की मिल जाए जिसके साथ मैं खूब सेक्स करके मज़े ले पाऊँ। दोस्तो, मैं सेक्स के लिए बहुत ही पागल हूँ।

मैं पिक्चर हाल में जैसे ही गुसा तो देखा कि एक 30-32 साल की औरत सामने खड़ी थी, वह अपने 4-5 साल के बेटे के साथ पिक्चर देखने आई थी। हम दोनों की आँख से आँख मिली फिर उसने अपना चेहरा मोड़ लिया। उसे देख कर मेरा उसे चोदने का मन हो गया था, क्या माल थी वो ! काली साड़ी, गोरा बदन ! उसकी काली साड़ी के पल्लू के नीचे से उसके गोरे गोरे से नज़र आ रहे थे, दिल कर रहा था कि साली के दूध वहीं पर खोल कर पी जाऊँ। उस औरत को चोदने का ख़याल मन में ही सोच कर अपनी सीट पर आकर बैठ गया। हॉल लगभग खाली था, हॉल में अँधेरा था, पिक्चर अभी शुरू नहीं हुई थी। वही औरत अपने बेटे साथ मेरी साथ वाली सीट पर आ कर बैठ गई। उसका बेटा उसे थोड़ा तंग कर रहा था। वो उसे संभालते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई, मैं भी उसे देख कर मुस्कुरा दिया। पिक्चर शुरू होने में थोड़ा टाइम था, उसका बेटा उसे तंग किए जा रहा था। तो मैंने मौके का फ़ायदा उठाते हुए उसके बेटे के साथ खेलने लगा, इससे उसका बेटा भी चुप हो गया। फिर उस औरत ने मेरा थैंक्स करते हुए कहा- आपने इसे चुप करवा दिया, बहुत देर से मुझे तंग कर रहा था।

मैंने उसे बोला- अरे कोई बात नहीं, वैसे आप अकेली आई हैं क्या अपने बेटे के साथ?

तो उसने कहा- हाँ, आजकल घर पर बोर हो रही थी, सोचा कि पिक्चर देखने चला जाए !

फिर मैंने पूछा- आपके पति नहीं आए आपके साथ?

तो वो बोली- नहीं, वो एक महीने के लिए बाहर गये हुए हैं।

फिर पिक्चर शुरू हुई। थोड़ी देर बाद उसका बेटा फिर उसे तंग करने लगा अंधेरा होने के कारण कुछ नज़र नहीं आ रहा था, मैं उसके बेटे को पकड़ने लगा तो उस दौरान मेरा हाथ ग़लती से उस औरत के नंगे पेट पर लग गया जिसका उसने कोई ऐतराज़ नहीं किया पर उसके पेट को छूते ही मुझे करंट सा लगा। फिर मैंने सारी बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए उसके बेटे को चुप करवाया।

फिर मेरे मन में शैतानी जागने लगी, मैं धीरे धीरे करके हिम्मत करके अपना हाथ उस औरत की तरफ बढ़ाने लगा। मेरा हाथ अब उसके उरोजों के पास पहुँच गया था, मैं अपनी उंगली उसके वक्ष के उठानों पर हाथ फेरने लगा। इसका भी उसकी तरफ से कोई विरोध नहीं आ रहा था, शायद उसे भी मजा आ रहा था।

इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी फिर मैं अपने हाथों से उसके स्तनों को दबाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसके ब्लाऊज के अन्दर डाल दिया और उसके दूध मसलने लगा। क्या चूचे थे उसके ! इतने नर्म, इतने मुलायम कि मन कर रहा था मुँह लगा कर पी जाऊँ।

फिर उसने अपना चेहरा मेरी तरफ कर लिया और अपने होंठ मेरे होंठों की तरफ बढ़ाने लगी और फिर मेरे होंठों को चूसने लगी। मुझे भी मजा आने लगा, मैंने भी उसके होंठों को चुसना शुरू किया, वो मेरे होंठों पर अपनी जीभ लगा रही थी और मैं उसके होंठों पर।

मैंने उसकी साड़ी का पल्ला नीचे सरका दिया और ब्लाऊज़ के हुक खोल कर खुद नीचे झुक कर उसके दूध पीने लगा। मुझे दूध पिला कर वो पागल हो रही थी। मैं अपने मोबाइल की लाइट से उसके दूध देखने लगा, क्या दूध थे गोरे गोरे और गुलाबी रंग का दाना। उसके दूध के दाने को खूब बुरी तरह से चूसा और उसके गोरे गोरे दूध पर काट काट कर लव बाईट भी दे दी।

पिक्चर ख़त्म हुई तो उसने अपने साड़ी संभाली और हम हॉल से बाहर निकल आये। बाहर निकलने के बाद वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी और मैं भी उसे देख कर मुस्कुराने लगा।फिर हम लंच करने के लिए एक रेस्तरां में गए, वहाँ मैंने उससे उसका नाम पूछा, उसने अपना नाम निशा बताया और बताया कि वो यहीं रहती है। हमने एक दूसरे का नंबर ले लिया।

निशा के फ़ोन अक्सर आते रहते थे। एक दिन उसने मुझे घर पर आने को कहा। रात को मैं उसके घर पहुँचा तब तक उसका बेटा भी सो चुका था।

उसने मुझे अपने बेड़ रूम में बैठने को कहा और बोली- मैं थोड़ी देर में आती हूँ।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

थोड़ी देर बाद जब वो आई तो क्या कयामत लग रही थी, वो लाल रंग का नेट का नाईट सूट और अन्दर कच्छी ब्रा कुछ भी नहीं पहने थी। वो धीरे धीरे कमरे में आई और कमरे में अन्धेरा कर दिया और मोमबत्ती जला दी।

फिर धीरे धीरे मेरे पास आई और बेड पर मेरे पास आकर बैठ गई। दोस्तो, उसके दूध उसके गोरे चूतड़ देख कर मैं तो पागल हो गया था !..फिर मैं उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में थाम कर उसके होंठों को चूसने लगा, वो भी मेरे होंठों को बुरी तरह से चूसे जा रही थी। थोड़ी देर के बाद मैं उसके उभारों को मसलने लगा, उसको नंगी कर दिया। अब उसका पूर्ण नग्न गोरा बदन मेरे सामने था। मैं उसके नंगे गोरे बदन के ऊपर पागलों की तरह से टूट पड़ा, उसके दूध पीता रहा, उसका नंगा बदन काफी देर तक काटता रहा, चूमता रहा।

फिर उसकी चूत भी चाटी और उसका सारा रज पी लिया। क्या स्वाद था उसके रज का, कुछ नमकीन सा..

फ़िर वो मुझे लेटा कर मेरी छाती चाटने लगी और बीच बीच में काट भी रही थी, बहुत मजा आ रहा था उसमें।

थोड़ी देर बाद उसने मेरा लौड़ा चूसना शुरू किया। उसने जैसे ही मेरा लण्ड अपने मुख में लिया, तो मुझे बहुत ही मजा आ गया, बस दिल कर रहा था कि चोद दूँ साली को।

काफी देर तक वो मेरा लौड़ा चूसती रही। वो तो लण्ड चूसती हुई पागल होती जा रही थी। थोड़ी देर बाद मेरा निकलने वाला था तो मैंने उसे हटने को बोला तो वो बोली- मेरे मुँह में निकाल दो, मुझे तुम्हारा वीर्य पीना है। यह सुन कर मैं पागल हो गया और अपना सारा वीर्य उसके मुँह में ही निकाल दिया।

थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर तन गया, अब उसकी चुदाई का समय आ गया था, उसे उस रात मैंने हर पोज़ में चोदा, उस रात हम दोनों कई बार झड़े।

उसने फिर बताया कि उसकी इच्छा है कि वो दो तीन आदमियों से एक साथ चुदे। उसने मुझसे पूछा- तुम अपने दोस्तों को भी अपने साथ ले आना अगली बार ताकि चुदाई में और मजा आये !

फिर अगली बार मैं अपने तीन दोस्तों को उसके पास ले गया। उस दिन हम चारों ने चुदाई का पूरा मजा लिया, निशा ने भी एक साथ कई लौड़ों का स्वाद चखा।

मेरी सहेली ने मुझे चुदवाया

मेरी सहेली ने मुझे चुदवाया

हेलो दोस्तो, मेरा नाम निधि है। मैं हिसार हरियाणा की रहने वाली हूँ। मेरी शादी को एक साल हो गया है। मैंने मेरे पति को कई बार अंतर्वासना पर कहानी पढ़ते हुए देखा है। शादी से पहले मैं इंटरनेट का बहुत कम प्रयोग करती थी। यहाँ आकर इंटरनेट का प्रयोग भी बढ़ गया। अब मैं अपने पति के साथ बैठ कर अश्लील साइटें देख लेती हूँ। वैसे मैं किशोरावस्था से ही बहुत कामुक रही हूँ। अंतर्वासना पर कुछ कहानियाँ पढ़ी तो मेरा मन भी करने लगा कि मैं आप लोगों को कुछ आप बीती सुना ही दूँ।

यह घटना मेरे जीवन की बहुत ही यादगार घटना है, जब मुझे पहली बार काम-पिपासा शांत करवाने का मौका मिला। बात लगभग 5 साल पहले की है जब मैं बी ए सेकेंड ईयर में थी। मेरी एक बेस्ट फ़्रेंड थी अलीशा, बचपन से साथ ही पढ़ते आ रहे थे हम लोग। हम दोनों हर बात एक दूसरे से शेयर करते थे। अलीशा क्लास के ही एक लड़के सुमित से प्यार करती थी। मुझे उन दोनों के बारे में इससे ज़्यादा कुछ नही पता था कि वो किस हद तक प्यार करते हैं। मुझे अलीशा ने भी सिर्फ़ इतना बताया हुआ था कि वो सुमित के साथ कई बार डेट पर जाती है और कुछ चूमा-चाटी तक ही बात बढ़ी है। लेकिन उस दिन मैं तो हैरान रह गई जब अलीशा ने मुझसे गर्ल्स टॉयलेट के पीछे ले जाकर कहा- निधि, आज अगर तुम्हारे घर पर कोई सेटिंग हो सके तो हमें मिलना है।

उस दिन भी मेरे मम्मी-पापा गाँव गये हुए थे और भाई जयपुर, तो मैंने कहा- नो प्रॉब्लम यार, तुम्हारा ही घर है, बुला लो।

अलीशा बोली- सुमित कई दिन से ज़िद किए हुए है कि मेरी किसी फ़्रेंड के घर पर मिला जाए, तो मैंने तुमसे पूछा है।

मैंने कहा- कोई दिक्कत नहीं अलीशा, बुला लो सुमित को।

मैंने उन्हें दोपहर दो बजे का टाइम देकर अपने घर बुला लिया। अलीशा मेरे घर एक बजे ही आ गई। चाय-वाय पीकर अलीशा बोली- निधि, वीट है क्या?

मैंने कहा- हाँ, पर क्यूँ?

बोली- काफ़ी दिन से टाइम नही मिला, थोड़ी सफाई करनी है नीचे की।

मैंने कहा- आज ही क्यूँ भई? कोई ख़ास बात है क्या, या सुमित को दर्शन करवाएगी अपनी चिड़िया के?

अलीशा हंस कर बोली- यार तू टाइम खराब मत कर और जल्दी वीट दे और हेल्प कर सकती है तो कर दे।

मैंने चुपचाप अलमारी से हेयर रिमूवर निकाल कर उसे दे दिया। वो मुझे भी बाथरूम में पकड़ कर ले गई। हम दोनों अक्सर एक दूसरे की सफाई किया करते थे। बाथरूम में जाकर हम दोनों ने कपड़े उतार दिए और अलीशा की सफाई मैं करने लगी, उसके बाद अलीशा बोली- तू भी कर ले निधि, देख तो सही कितनी काली लग रही है तेरी चिड़िया।

मैंने भी अलीशा से सफाई करवा ली। तब तक मेरे दिमाग़ में वही बात चल रही थी कि अलीशा ने आज सफाई क्यूँ करवाई है? मैंने उस से फिर से पूछा तो बोली- आज तेरे घर मेरी सुहागरात है निधि।

मैं सब समझ गई, पर अब मुझे डर सा लगने लगा कि सुमित मेरे बारे में क्या सोचेगा? तभी घंटी बजी, मैंने दरवाजा खोला, सुमित ही था। उसके अंदर आने के बाद लगभग 15 मिनट चाय-पानी और कुछ आम बातों में निकल गए।

फिर सुमित बोला- निधि, क्या हम दोनों अंदर चले जायें? तुम बाहर थोड़ा ध्यान रख लेना।

मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी कि पहली बार कोई लड़का मुझसे सरेआम पूछ रहा है कि मैं अपनी गर्ल-फ़्रेंड के साथ सेक्स कर लूँ क्या?

मैंने बिना कुछ सोचे उसे कहा- जाओ कर लो।

इतना सुनते ही सुमित और अलीशा दोनों मेरे बेडरूम में चले गये। मैं वहीं सोफे पर बैठ गई, पर मुझे चैन कहाँ था, मेरे दिमाग़ वहीं था कि आज तो दोनों खूब मस्ती करेंगे। मैंने सोचा कि सुनकर तो देखें अंदर क्या चल रहा है।

मैंने दरवाजे पर कान लगाया तो मैं हैरान हो गई, सुमित अलीशा से कह रहा था- अलीशा, निधि को पहले बुलाओ आज।

अलीशा बोली- निधि थोड़ी शर्मीली है यार, एक बार मुझे कर दो, फिर बुला लूँगी।

यह सुनकर मेरे पैरों के नीचे ज़मीन खिसक गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

सुमित बोला- "अलीशा, देखो आखरी बार कह रहा हूँ, निधि की दिलवा दो पहले, वरना मैं तुम्हे छोड़ के कहीं दूर चला जाऊँगा, फिर बैठी रहना उंगली डाल कर !

यह सब सुन कर मुझे हैरानी भी हो रही थी, डर भी लग रहा था और अच्छा भी लग रहा था। मैं इसी सोच में थी कि दरवाजा खुला और अलीशा मुझे पकड़ के अंदर ले गई। अंदर जाते ही अलीशा बोली- देख निधि, सुमित मुझे कब से तंग कर रहा है, कहता है कि निधि के सामने करेंगे आज तो !

मैं शरमा रही थी, पर मेरी चिड़िया गीली हो गई थी। पूरे शरीर में करंट सा लग रहा था। मैं कुछ नहीं बोली तो अलीशा बोली- कोई दिक्कत हो तो बाहर चली जाओ निधि, यहाँ रह कर शरमाओ मत।

मैंने थोड़ा सा हौंसला करके कहा- कर लो, यहीं हूँ मैं।

तभी मैंने देखा कि सुमित उठा और उसके कदम अलीशा की तरफ बढ़ने लगे। मेरे मन में अजीब सा हो रहा था, अलीशा बोली- निधि थोड़ी हेल्प करो ना, इधर आ जाओ।

मैं शरमाते हुए अलीशा के पास गई तो अलीशा ने मुझे बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगी। यह हम दोनों का वैसे तो पुराना काम था, पर एक लड़के के सामने? मैं शरमा भी रही थी, पर मज़ा भी आ रहा था, चिड़िया गीली होकर मस्त हो रही थी मेरी। थोड़ी देर में ही हम दोनों सुमित के सामने सिर्फ़ ब्रा और चड्डी में थी। मेरी शर्म भी थोड़ी कम हो गई थी।सुमित ने अपना औजार निकाल रखा था, लगभग 6 इंच लंबा, और हाथ से हिलाते हुए हम दोनों के पास आ गया। अलीशा सुमित का लंड हाथ में लेकर चूसने लगी और मेरी चिड़िया को चड्डी के ऊपर से ही रगड़ने लगी, मज़े मज़े में मैंने भी उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी चड्डी के अंदर ले लिया, अब अलीशा सुमित का लंड चूस रही थी और मेरी चूत में उंगली मार रही थी। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद, सुमित ने मेरी चड्डी उतार दी और मेरी जाँघों के बीच बैठ कर मेरी चूत चाटने लगा।

मैं वासना के नशे में इतनी खो गई थी कि मुझे पहले वाली शरम याद ही नहीं रही, एक लड़के की जीभ का चूत के अंदर जाना बड़ा ही सेक्स लेकर आ रहा था मेरे तन-मन में।

तभी अलीशा ने मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी और मैं उसे भी वही मज़ा देने लगी जो सुमित मेरे नीचे से मुझे दे रहा था। थोड़ी देर में ही सुमित ने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया, मैंने हल्का सा विरोध जताया तो अलीशा ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और सुमित का लंड पकड़ कर मेरी चूत पर रगड़ने लगी।

तभी सुमित ने हल्का सा लंड मेरे अंदर डाल दिया और पूछने लगा- पहले कभी चुदी हो क्या?

अलीशा ने फ़ौरन जवाब दिया- सुमित, ध्यान से कच्चा माल है, पहली बार चुद रही है मेरी निधि, धीरे चोदना।

सुमित ने फिर धीरे-2 अपना लंड मेरी चूत में उतारना शुरू किया, लगभग आधा अंदर जाते ही यूँ लगा जैसे कोई गोली लगी हो चूत में। मैं समझ गई थी कि मेरी सील तोड़ दी है सुमित ने !

फिर कुछ देर रुक कर सुमित ने पूरा लंड मेरे अंदर धकेल दिया और मुझे पेलने लगा। क्या बताऊँ दोस्तो, लगभग 7-8 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा कि मेरी चूत बिल्कुल खलास हो गई है।

फिर कुछ देर बाद सुमित बोला- मैं कहाँ निकालूँ पानी?

अलीशा बोली- हम दोनों पिएँगे आज।

फिर सुमित ने ढेर सारा वीर्य हम दोनों के मुँह में निकाल दिया और फिर मैं भाग कर बाथरूम में चली गई। मुझे अलीशा ने ही बताया था कि सेक्स के बाद पेशाब कर लो तो प्रेगनेंट होने का डर नही रहता।

पेशाब करने के बाद शीशे में देखा तो मेरी चूत बहुत ही खुली हो गई थी, यूँ लग रहा था की अभी भी सुमित का मोटा सा लंड मेरी चूत में फँसा है। उसके बाद जैसे ही मैं कमरे में गई तो मैंने जो देखा वो सब फ़िर कभी !
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टीचरजी सेक्स कहानिया

टीचरजी सेक्स कहानिया

अविवाहिता खूबसूरत

अविवाहिता खूबसूरत 

मेरा नाम डिम्पल है उम्र 22 साल, अविवाहिता, खूबसूरत भी हूँ फिगर 34/30/34 है। मेरी कहानी सच्ची है मैं यह कहानी इसलिए लिख रही हूँ कि मेरा मन हल्का हो जाए क्यूंकि मैं जो आपको बताने जा रही हूँ वो मैंने आज तक किसी को नहीं बताया और मैंने सुना है कि मन में रखी कोई बात अगर आप किसी को बोल दो तो मन हल्का हो जाता है।

अभी मैं केन्या के नैरोबी शहर में अपने भाई के साथ रहती हूँ लेकिन मेरी कहानी आज से एक साल पहले भारत से है। मेरे परिवार में सिर्फ मैं और मेरी मम्मी दोनों भारत में रहते थे और एक बड़ा भाई जो कई सालों से केन्या में सेटल है।

कॉलेज छुट जाने के बाद मैं घर में अकेली बोर हो जाती थी तो भाई की अनुमति लेकर हुंडई कार के शो-रूम में जॉब ले लिया। मेरा काम था नए ग्राहक को कार बेचना। वैसे हमारा घर का खर्च भाई के भेजे पैसों से ही चलता था, लेकिन भाभी का स्वभाव थोड़ा ठीक नहीं है इसलिए बहुत कम पैसे आते थे तो मैं अपनी लाइफ स्टाइल को पूरी तरह से एंजॉय नहीं कर पाती थी। मुझे होटल में खाना–पीना घूमना, थियेटर में मूवी देखना बहुत पसंद है।

एक दिन शाम के वक़्त मैं स्किन टाइट जीन्स और सफ़ेद शर्ट पहन कर अपने केबिन में बैठी थी। तभी शोरूम में एक बिजनेसमैन आया। उनकी उम्र कुछ 40-42 की होगी, सूट पहना हुआ था, काफी अमीर दिखते थे। मैंने उनका स्वागत किया और कार के बारे में बताना शुरू किया।

जब मैं उनको कार के बारे में बता रही थी तब मैंने नोटिस किया कि उनका ज़्यादातर ध्यान कार से ज्यादा मेरे पर था। उनको टैस्ट-ड्राइव लेना था तो मैं उनको शोरूम से बाहर लेकर आई और उस लड़के को खोजने लगी जो कार के साथ ताइस्ट ड्राइव के लिए जाता था। लेकिन उस दिन वो जल्दी घर चला गया था तो मुझे मजबूरन उनके साथ जाना पड़ा।

मैं बगल वाली सीट पर बैठ गई और उन्होंने कार स्टार्ट कर दी। मैंने उनको सीट बेल्ट के लिए बोला, मैं भी अपनी सीट बेल्ट बांधने लगी लेकिन बंध नहीं रहा था तो उन्होंने अपनी सीट पर बैठे बैठे थोड़ा झुककर मेरी हेल्प की तो अनजाने में उनके हाथ मेरी बड़ी बड़ी चूचियों से छू रहे थे, मेरे पूरे शरीर में एक अलग सा रोमांच होने लगा था।

मैंने कुछ भी नहीं कहा फिर भी उनको इस बात का अहसास हो गया, उन्होंने मुझे सॉरी बोला।

मैंने कहा- नो प्रोब्लम सर !

फिर उनकी हिम्मत और बढ़ गई तो मेरे बारे में पूछने लगे- कब से जॉब कर रही हो, कहाँ तक पढ़ी हो, कितना सेलरी मिलता है?

फिर उन्होंने कहा- अगर तुम्हें ज्यादा सेलरी चाहिए तो मेरा ऑफिस जॉइन कर सकती हो !

मैंने थेंक्स बोला, अब वो मुझे पटाने के चक्कर में थे, मैं भी यही चाहती थी तो उनको सपोर्ट करने लगी थी। उन्होंने कार लेने के लिए फाइनल किया तो मैंने उन्हें दस हजार का और फायदा करवा दिया। उन्होंने लाल रंग पसंद किया था तो मैंने कहा- आपकी कार की डिलिवरी में चार–पाँच हफ्ते लगेंगे।

उन्होंने ओके कहा और मेरा सेल नंबर मांगा। मैं अपना पर्सनल नंबर किसी को नहीं देती लेकिन न जाने क्यों उनको दे दिया।

दो चार दिन के बाद वो फिर से आ गए, मैं ऑफिस से छूटकर बाहर निकल रही थी, उन्होंने मुझे देख लिया। मैं बस स्टॉप पर जा रही थी तो मेरे पास आकर पूछने लगे- आपका मोबाइल क्यूँ नहीं लग रहा है?

मैंने कहा- पानी में गिरने की वजह से बंद हो गया है, एक दो दिन में नया ले लूँगी।

उन्होंने मुझे पूछा- अगर आप बुरा न मानो तो मैं आपको ड्रॉप करना चाहूँगा।

मैंने कहा- मैं बुरा नहीं माँनूगी लेकिन मैं बस में चली जाऊँगी।

उन्होंने कहा- आप बुरा मान गई !

मैं हंसने लगी और उनकी कार में बैठ गई। उन्होंने कार स्टार्ट कर दी और मुझे पूछने लगे- आपने मुझे दस हजार का फायदा करवाया है, क्या मैं आप के लिए गिफ्ट ले सकता हूँ?

मैंने कहा- नहीं, मैं आपका गिफ्ट नहीं ले सकती !

थोड़ी देर बात करते करते मेरा एरिया आ गया तो मैंने कहा- आप मुझे यहाँ छोड़ दीजिये, मैं यहाँ से पैदल चली जाऊँगी।

उन्होंने कहा- आप बुरा मान गई !

मैंने स्माइल किया और बोला- बिल्कुल नहीं ! मैं इसलिए यहाँ से पैदल जा रही हूँ क्योंकि अगर मुझे आपकी कार में कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा।

उन्होंने कहा- तो एक आइसक्रीम तो साथ में खा सकते हैं?

मैंने कहा- ठीक है !

हम दोनों ने आइसक्रीम खाई और चल दिए।

दूसरे दिन वो बस स्टॉप पर कार लेकर मेरा इंतजार कर रहे थे, जब मैं वहाँ पहुँची तो मेरे पास आए और बोलने लगे- मेरा ऑफिस से छूटने का टाइम और आपका एक ही है तो सोचा आपको भी साथ में ले चलूँ। मुझे एक खूबसूरत लड़की की कम्पनी मिल जायेगी !

मैंने मन में सोचा कि बस की भीड़ में जाने से अच्छा है एसी वाली कार में चला जाए और वैसे भी मेरे से दोगुनी उम्र के हैं, कोई देख लेगा तो भी क्या बात करेगा। यह सोचकर मैं मना करते करते बैठ गई। थोड़ी देर के बाद उन्होंने एक गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक बॉक्स मेरे हाथ में दे दिया और कहा- मेडम आपका गिफ्ट !

मैंने मना किया लेकिन उन्होंने अपनी कसम दे दी। मैंने गिफ्ट खोला तो नोकिया का बहुत मंहगा मोबाइल था। मैं मना करने लगी लेकिन वो नहीं माने !

मैंने उन्हें थैन्क्स बोला तब उन्होंने कहा- सिर्फ थेंक्स? और कुछ नहीं?

मैंने कहा- और क्या चाहिए?

तो वो बोले- जो चाहिए वो मिलेगा?

मैं उनका मतलब समझ गई, मैं भी उनके साथ सोने के सपने देख रही थी लेकिन थोड़े नखरे करने पड़ते हैं, इसलिए मैंने कहा- मैं कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं हूँ।

तो उन्होंने कहा- मैं भी एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन हूँ, परिवार वाला हूँ, तुम्हें कोई नुकसान नहीं करूँगा, मैं तुम्हारे साथ सिर्फ़ लाइफ एंजॉय करना चाहता हूँ, हम कभी यौनसंबंध नहीं करेंगे।

मैंने मन में बोला कि मैं तो सिर्फ वही चाहती हूँ, उतने में मेरा घर आ गया तो मैं बाय बोलकर चली गई। घर जाकर मैं मोबाइल में अपना सिमकार्ड डालकर चेक कर रही थी तो मैंने देखा कि मेमरी कार्ड पहले से ही भरा पड़ा हुआ है और उसमें सिर्फ सेक्स वाले वीडियो और फोटो थे।

मैंने सारे वीडियो देख लिए। अब मैं समझ गई कि वो भी मुझसे सेक्स चाहते हैं लेकिन बोलने से डरते हैं।

फिर वो रोज मुझे अलग अलग बहाने बनाकर फोन करते थे लेकिन बोल नहीं पाते थे। रोज रोज बातें करने से मैं उनके काफी नजदीक आ चुकी थी। थोड़े दिन के बाद आज उनकी कार की डिलिवरी थी, वो मेरे लिए खास स्वीट का बॉक्स लेकर आए थे। जब छूटने का टाइम हुआ तो मैंने सोचा- आज नई कार ली है तो शायद मुझे लेने नहीं आएँगे लेकिन मैं गलत थी, आज भी वो बस स्टॉप पर नई कार के साथ मेरा इंतजार कर रहे थे।

मैंने दूर से ही देख लिया और उनको उकसाने का प्लान बना लिया। मैंने जानबूझकर मेरे शर्ट का एक बटन खोल दिया ताकि उनको मेरी चूचियाँ दिखें। मैंने कार के पास आकर उनको हाय कहा, उन्होंने दरवाजा खोला और मैं बैठ गई। मैंने उनको नई कार के लिए बधाई दी, उन्होंने थैंक्स बोला और मेरे वक्ष पर देखने लगे, बार बार नजर घुमा कर वो मेरी चूचियों को देख रहे थे, मैं अनजान बनकर उनसे बातें कर रही थी।

उन्होंने एक होटल के सामने कार रोक दी और मुझे पूछा- क्या हम साथ में डिनर कर सकते हैं अगर तुम्हें देर न हो रही हो तो?

मैंने उन्हें हाँ बोल दिया क्यूँकि माँ रोज शाम को आसपास किसी के घर बैठने चली जाती थी और देर से आती थी।जब कार से उतरने के लिए दरवाजा खोलने वाली थी, तब उन्होंने मुझे रोक लिया और अपने हाथ से मेरे शर्ट का बटन बंद करने लगे और बोले- मेरी जान, ये पब्लिक के लिए नुमाइश की चीज नहीं हैं।

मैंने अनजान बनकर शर्म के मारे अपना मुँह छुपा लिया और सौरी बोला। अब उनकी हिम्मत और बढ़ गई, उन्होंने हल्के हाथों से मेरे एक उरोज को दबा दिया। अब मैं पागल हो चुकी थी उनसे चुदवाने के लिए !

हमने होटल में खाना खाया और वापिस कार में आ गये। मैंने उनको पूछा- बटन बंद करने के बाद आपने मेरी छाती पर हाथ क्यूँ घुमाया था?

उन्होंने मुझसे पूछा- अच्छा नहीं लगा?

मैंने कहा- अच्छा लगा, लेकिन यह गलत है।

उन्होंने कहा- अच्छा लगा हो तो कल मेरे साथ मेरा फार्म हाउस देखने चलोगी?

मैं समझ गई कि अब वो पूरा प्रोग्राम करना चाहते हैं। मैंने भी हाँ कर दी।

उन्होंने कहा- कल सुबह जॉब पर मत जाना, मैं तुम्हें दस बजे लेने आऊँगा...

दूसरे दिन मैं काली ब्रा, लाल पेन्टी, जीन्स और एक स्किन टाइट टीशर्ट पहनकर और अच्छी तरह से लिपस्टिक पाउडर परफ्यूम लगा कर उनके फोन का इंतजार करने लगी।

थोड़ी देर में उनकी कार आ गई, मैं अंदर बैठ गई तो मुझे देखकर उन्होंने कहा- आज तो तुम पटाका लग रही हो और स्किन टाइट टी शर्ट में तुम्हारी चूचियाँ और भी बड़ी दिख रही हैं।

मैंने थेंक्स बोला...

लगभग 20 किलोमीटर कार चलने के बाद उनका फ़ार्महाउस आ गया। काफी बड़ा फ़ार्महाउस था।

जब हम अंदर आ गये तो उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और सीधा आकर मुझे चिपक गये और मेरे कंधों पर, गले पर चुम्बन करने लगे।

मैंने कहा- सर, आप क्या कर रहे हो?

उन्होंने कहा- डिम्पल तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, आज मना मत करना !

उन्होंने मेरे लिए एक सोने का चेन निकाली और मुझे पहनाने लगे। अब मैं उनके अहसान के तले डूब चुकी थी, मैंने भी अपने दोनों हाथ उनके गले से लिपटा लिए और उनके होंठों पर अपने गुलाबी होंठ रख दिए। वहाँ खड़े खड़े पाँच मिनट तक हम एक दूसरे को चूमते रहे। बाद में उन्होंने मुझे बाहों में उठा लिया, बेडरूम में ले गये और धम्म से बेड पे पटक दिया और मेरे ऊपर लेट गये।

ज्यादा उम्र होने की वजह से वो बुरी तरह हांफने लगे।

मैंने पूछा- क्या हुआ सर, आप ठीक तो हो ना?

उन्होंने बताया- अब वो जवानी वाला दम नहीं रहा डीयर !

मैंने कहा- कोई बात नहीं सर, आज मैं आपको जन्नत की सैर कराऊँगी।

मैंने फ्रिज से ठंडा पानी निकाल कर दिया और पूछा- अब कैसा लग रहा है?

उन्होंने बोला- अगर पानी की जगह तुम्हारा दूध पिलाती तो जवानी वापिस आ जाती !

मैंने कहा- आ जाओ मेरे मुन्ना !

मैं बिस्तर पर अपने दोनों पैर लम्बे करके बैठ गई और अपनी टीशर्ट निकाल दी। अब मैं उनके सामने सिर्फ ब्रा और जीन्स पहन कर बैठी थी, वो मेरी बड़ी बड़ी आधी खुली चूचियों को देख कर ब्रा के ऊपर से ही दोनों हाथों से दबाने लगे और अपने हाथों से ब्रा के हुक खोल दिए।

अब मेरी चूचियाँ उनके सामने बिल्कुल आज़ाद थी, वो दोनों हाथों से दबाते हुए बोले- आज तक ऐसी गोरी गोरी बड़ी और टाइट चूचियाँ मैंने कभी नहीं देखी।

मैंने कहा- ये तेरे लिए हैं मेरे मुन्ना, आ जा और और उसका दूध पी ले !

उन्होंने छोटे बच्चे की तरह मेरी गोदी में अपना सिर रख दिया, मैंने अपने एक स्तन उनके मुँह में दिया, वो एक को दबा रहे थे, दूसरे से दुग्धपान कर रहे थे।

मैं अपने एक हाथ उनके कम बाल वाले सिर पर और दूसरा हाथ उनकी पीठ पर सहला रही थी और गाल पर चुम्बन कर रही थी। फुल एसी होते हुए भी उनको पसीना आ रहा था, वो पूरे मोम्मे को अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रहे थे लेकिन बड़ा होने की वजह से जा नहीं रहा था तो ज़ोर ज़ोर से चूसने लगे।

मेरे मुँह से आहें निकल रही थी- आह ! आह !

कभी कभी मैं झुककर उनके गालों को चूम लेती, मेरे से थोड़ी कम उम्र वाली उनकी एक बेटी और एक छोटा बेटा था लेकिन आज मैं उनको अपना बच्चा बनाकर मेरा स्तनपान करवा रही थी।

मैंने धीरे धीरे उनके शर्ट के सारे बटन खोल दिये और उनका लोड़े को पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगी। धीरे धीरे पैन्ट का बटन खोल दिया। वो खड़े हो गए और अपनी पैन्ट, शर्ट निकाल दिया और मेरी जीन्स खोलने लगे। मेरी पेन्टी को देखकर और उत्तेजित हो गए। उनके कच्छे में खड़ा लोड़ा मुझे दिख रहा था।

वे मेरी गोरी गोरी जांघों को सहलाने लगे और चूमने लगे। अब हम दोनों सिर्फ एक एक वस्त्र पहने हुए थे। मैंने उनको बेड पर लेटा दिया और उनके छाती से मेरे दोनों मोम्मे चिपका कर उनके होठों पर किस करने लगी, उनके दोनों गालों पे, कानों पे उनकी छाती पे जहाँ छोटे छोटे सफ़ेद बाल थे, वहाँ जीभ घुमाने लगी।

चूमते चूमते उनके खड़े हुए लोड़े तक पहुँच गई और अन्डरवीयर निकाल दिया। अब उनका लोड़ा मेरे सामने था, मैंने लोड़े पे हल्का सा किस किया और जीभ से चाटने लगी !

जब मैं चाट रही थी तब वो देखने के लिए वो कमर से सीधे हो गए और अपना पीठ तकिये से चिपका कर मुझे लण्ड साथ खेलते हुए देखने लगे। मैं उनका लोड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी। उनको बहुत मजा आ रहा था, उन्होंने सिगार जलाया और कस खींचने लगे। मैं पूरा लण्ड मुख में लेकर चूसने लगी।

उसके बाद उन्होंने मुझे ऊपर अपनी ओर खींचा और सिगार का धुआँ मेरे मुँह पर फ़ूँका और मुझे कश मारने को कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने एक कश मारा और उनके मुँह पर धुआँ फेंका। सिगार खत्म होते ही मुझे नीचे लिटाकर मेरी लाल पेन्टी को निकाल दिया और मुझे पूरी नंगी कर दिया। अब वो मेरी चूत को अपने हाथों से सहेला रहे थे, उसमें उंगली डालकर मुझे और उत्तेजित कर रहे थे और अपनी जीभ से चाट रहे थे।

मेरे मुँह से आह ! आह ! की आवाज़ें निकल रही थी !मेरी चूत का सारा पानी वो पी गए और अपना खड़ा हुआ लण्ड उसपर रख दिया धीरे धीरे पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।

मैं बोलती रही- सर प्लीज, धीरे धीरे करो !

लेकिन वो थोड़े न सुनने वाले थे, आज एक जवान चूत जो उनको मिल गई थी। वो ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहे थे और मैं 'सर प्लीज ! मैं मर गई ! सर प्लीज ! धीरे धीरे करो !' ऐसा उनको रिक्वेस्ट कर रही थी।

वो झटके पर झटके मार रहे थे लेकिन थोड़ी देर वो में थक गये और सांस फूल जाने की वजह से वो हांफने लगे तो मैंने उनको अब नीचे लिटा दिया और मैं उनके ऊपर आ गई, वो मेरे मोम्मे दबाने लगे।

मैंने उनका लोड़ा फिर से चूत में डाल दिया, अब मैं चूतड़ उठा उठा कर झटके मारने लगी लेकिन थोड़ी देर में वो मुझे 'प्लीज डिम्पल धीरे धीरे करो ! ऐसा रिक्वेस्ट करने लगे।

उनको लोड़े पर दर्द हो रहा था लेकिन मैंने सुना अनसुना किया और झटके मारती गई। मुझे आज पूरी तरह से अपनी चूत संतुष्ट करना था तो मैंने उनकी दया नहीं की, चुदने का पूरा मजा लूटने लगी।लेकिन थोड़ी देर में उन्होंने कहा- मैं पानी छोड़ने वाला हूँ ! प्लीज निकाल दो !

तो मैंने अपनी चूत से उनका लण्ड बाहर निकाल दिया। उन्होंने खड़े होकर मेरे दोनों मोम्मों पर अपना वीर्य छोड़ दिया और मुझे कहा- इसका टेस्ट करो !

मैंने उनका मान रखने के लिए एक बूंद उंगली पर लेकर अपनी जीभ पर रखा और पी गई।

फिर हम दोनों ने साथ में शावर लिया, मैंने उनको साबुन लगाया, उन्होंने मुझे साबुन लगाया और बाथरूम में उन्होंने फिर एक बार खड़े खड़े मुझे चोद लिया। जब ऊपर शावर का पानी गिरता हो और उसके नीचे खड़े खड़े चुदने का बहुत मजा आता है।

फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और घर जाने के लिए तैयार हो गये।

मुझे तो तेरी लत लग गई

मुझे तो तेरी लत लग गई

यह आपबीती मुझे मेरे दोस्त जय पाण्डेय ने भेजी है... और मैं जानती हूँ कि यह शत प्रतिशत सही है।

तो पेश है आपबीती... 'मुझे तो तेरी लत लग गई'

बात उन दिनों की है जब मैं नया नया डॉक्टर बना था। मेरी पहली पोस्टिंग बिहार में बक्सर जिले में हुई थी। बक्सर जिला कम गाँव ज्यादा था। वहाँ बिजली की बहुत समस्या रहती है।

चूँकि मैं सरकारी डॉक्टर था इसीलिए रहने के लिए एक बंगला मिला हुआ था। सरकारी हॉस्पिटल में दवाई बेचने के लिए दलाल सब पटना से आये करते थे। मुझे तरह तरह के गिफ्ट भी मिला करती थी... शुरू में तो बहुत अच्छा लगता था लेकिन फिर बोरियत लगने लगी थी...

महीने दो महीने गुज़र गए, न कोई गर्ल फ्रेंड थी जिससे फ़ोन सेक्स करें, न ही कोई जुगाड़... जुगाड़ से याद आया महेश जी जो खुद बहुत बड़े जुगाड़ू थे।

महेश जी- और सर जी, इस पर अपना हस्ताक्षर कर दीजिये...

मैं- लो कर दिए।

महेश जी- ये रहे सर जी आपकी दस प्रतिशत कमीशन !

मैं- वो सब तो ठीक है महेश जी लेकिन !

महेश जी- लेकिन क्या सर जी...?

मैं- आप तो पटना जाते रहते हैं न वहाँ से कोई जुगाड़ हो जायेगा?

महेश जी- हाँ हाँ हो जायेगा... बोलिए व्हिस्की रम... क्या ले लूँ आपके लिए?

मैं- अरे वो नहीं महेश जी मेरा मतलब था....

मैंने अपने नाक को छूकर इशारा किया।

महेश जी- ओह्ह हो ! तो आप भी इसका शौक रखते हैं?

मैं- हाँ !

महेश जी- ओके सर जी, हो जायेगा ! फिर पटना क्यूँ जाना, वो तो पास के आरा जिले से कर आता हूँ।

मैं- आरा यानि गाँव की...? नहीं कोई शहरी !

महेश जी- जो मस्ती यहाँ के गाँव की औरत में है वो शहर की लड़की में कहाँ?

मैं- ओह तो ये बात है?

दो दिन बाद महेश जी शाम को एक औरत के साथ मेरे बंगले में आये।

मैं- ओह, महेश जी !

महेश जी- ये देखिये किसको लाये है... कमली को... पास के गाँव पुराना भोजपुर की है !

मैं- लेकिन यह तो औरत है, मैंने तो लड़की बोला था।

महेश- अरे सर आपकी उम्र अभी कच्ची है... ये औरत आपको सिखाएगी ,,, वर्ना लड़की आपसे नहीं संभलेगी

मैं- लेकिन ये है कौन ??

महेश- ये कमली है... इसका पति इसको छोड़कर चला गया है... तो पास वाले घर में अपने बूढ़े माँ बाप के साथ रहती है।

मैं- और इसका कितना लोगे महेश बाबू?

महेश- आपके लिए फ्री... तीन दिन तक रखिये... मजे कीजिये।

मैं- तीन दिन तक?

महेश- अरे और क्या ! एक रात में मन नहीं भरेगा कमली से ! यह है ही कुछ ऐसी चीज़।

मैं- मैं कुछ समझा नहीं?

महेश ने कमली का साड़ी उठाया और पीछे घुमाया... उसकी कच्छी नीचे खींची।

उसके गोल गोल चूतड़ देख कर मज़ा आ गया और उसकी बिन बाल की चूत देख लार टपक गई।

महेश- यह देखिये... ख़ास आपके लिए उसके बुर की हजामत करवाई है...

फिर महेश ने उसके ब्लाउज के हुक खोके और ब्रा ऊपर उठा कर उसके उरोज़ बाहर निकाल दिए। महेश ने उसके एक एक कर गोल गोल मम्मे निचोड़े...

महेश- ये देखिये, एकदम रस भरे... खूब चूसिये महाराज, आपको जरुरत भी है !

ये व्यंग्यात्मक बातें इसीलिए क्यूंकि मैं दुबला पतला तो था ही साथ ही कुँवारा और कम उम्र का हूँ।

महेश जब कमली का प्रदर्शन कर रहा था तब कमली एकदम चुप थी।

मैंने पूछा- यह इतनी चुप क्यूँ है?

महेश ने बताया- पति जब से गया है, यह चुप ही रहती है, बस पैसों के लिए चुदवाती है।

महेश- सर कमली ख़ास माल है... सबको चूत नहीं देती, आप खुशनसीब हैं।

मैं- तो ऐसी बात है कमली?

कमली ने बस हामी भरी।

महेश- सर यहाँ पर हिजड़ों की खूब खूब चुदाई होती है... रंडी के नाम पर हिजड़े रांड बन घूम रहे हैं।

इस पर कमली मुस्कुराई। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

महेश कमली को छोड़ कर चला गया।

अगले तीन दिन सरकारी अस्पताल भी बंद था... अब बस मैं और कमली थे घर में !

मैंने इससे पहले चुदाई नहीं की... बस अब मौका मिल गया था !

मैं- कमली, चल अन्दर कमरे में चलते हैं।

वो मेरे साथ कमरे में आ गई... मैंने उसे कपड़े खोलने को बोला !

उसने पहले अपनी साड़ी खोली... फिर ब्लाउज, फिर पेटीकोट, अब वो सिर्फ ब्रा पैंटी में थी... ब्रा उजले रंग का पुराना सा था और पैंटी के नाम पर कच्छा था !

फिर उसने यह भी उतार दिए और बेड में लातें सिकोड़ कर बैठ गई, कुछ बोल नहीं रही थी, बस नज़रें झुकाए थी !

क्या मस्त लग रही थी... सांवला सा बदन था लेकिन पेट में स्ट्रेच मार्क थे।

मैं- कमली तेरा कोई बच्चा भी है क्या?

कमली एकदम से सकपका गई...

कमली- बाबू जी आपको कैसे पता?

मैं- डाक्टर हूँ, सब पता है।

कमली- हाँ इसी हरामजादे का था... साला बेच आया !

मैं- महेश का? बेच आया...??

कमली- हाँ, जब देखो चोदता रहता था... अब बस इधर उधर सरकारी बाबू के पास ले जाता है मुझे !

मैं- और तेरे को पैसा कितना देता है?

कमली- एक दिन का सौ रुपये !

मैं सोच में पड़ गया... कमीने ने मुझसे पचास हज़ार के दवाई पर मुहर लगवाया और सौ रुपये वाली पकड़ा गया !

मैं- कोई नहीं, मैं तुम्हें एक दिन का पांच सौ दूँगा।

कमली- सच बाबूजी? लेकिन महेश को मत बताना !

मैं- नहीं बताऊँगा।

लेकिन जो भी हो, महेश ने मेरा तो जुगाड़ बना दिया... जय हो उसकी !

कमली- इधर आओ न बाबू जी !

कमली ने मुझे बुलाया खुद ही पैंट खोली और मेरा लौड़ा चूसने लगी।

कमली- पांच सौ के लिए कर रही हूँ बाबू जी ! एक बार कमली से चुसवाओगे, बहुत सुकून मिलेगा।

मैं अपना होश खो रहा था, पहली बार एक नंगी औरत लंड चूस रही थी...

उससे शायद चूसने में महारत हासिल थी... क्या प्यार से चूस रही थी... बार बार लंड के टोपे को काट रही थी, फिर अपनी जीभ मेरे मलद्वार के पास ले गई और गोलियों के नीचे चूसने लगी।

उसने अपनी एक पतली सी उंगली मेरी गांड में ले गई और मलद्वार के अन्दर घूसा कर अन्दर-बाहर करने लगी... मेरा लंड तनतना गया... वो गंवार जिन जगहों को छू रही थी वो एक पुरुर्ष के 'जी स्पॉट' होते हैं.... उसे पता नहीं इतना सेक्स ज्ञान कहाँ से था।

खैर मैं अपनी जवानी के उस दौर में बह गया, उसे बिस्तर में पटक के अपने लंड पर कंडोम लगाया और उसकी भरी हुई जांघें फैलाई !

कमली- अहह आराम से बाबूजी ! अभी मैं गरम नहीं हुई हूँ !

मुझे समझ नहीं आया कि उसने गर्म क्यूँ कहा... क्या तात्पर्य था उसका? लेकिन मैं लंड उसके छेद में घुसाने लगा... मुझे मुश्किल होने लगी। एक तो मेरी पहली चुदाई थी और दूसरे उसकी चूत अभी गीली नहीं हुई थी !

फिर भी मैंने किसी तरह उसके चूत में लंड डाल ही दिया और जल्दी जल्दी घस्से मारने लगा।

कमली- अहह बाबूजी आराम से...

उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और चूसने लगी।

वो मुझे स्मूच दे रही थी... लेकिन उसके मुँह से गन्दी बास आ रही थी सो मैंने अपना मुँह हटा दिया।

मैं- रांड है रांड की तरह चुदवा... बीवी की तरह नहीं... तेरे मुँह से बास आ रही है।

मैं अब तक दस झटके मार चुका था... दो तीन मिनट ही हुए थे कि मैंने उसे जोर से पकड़ा और लंड ने पिचकारी मार दी...

मैं उसकी चूत में झड़ गया।

लंड निकाला तो देखा मुठ कंडोम में लटका हुआ था... झट से कंडोम खोल कर लंड धोने लगा।

कमली- क्यूँ बाबूजी, बस इतना ही था?

मैं समझ गया उस गंवार ने क्या कहा... उसने मेरी मर्दानगी को ललकारा तो था ही साथ ही मुझे बच्चा सेक्स के मामले में कह दिया !

मैं नंगा कमली के पास जाकर बैठ गया... कमली ने मुझे बांहों में भर लिया।

कमली- क्यूँ रे... इतनी कम देर करेगा तो बीवी को कैसे खुश रखेगा?

मैं- तो क्या करूँ? कैसे करूँ?

कमली- तेरे को लंड चुसवाने में मज़ा आया था?

मैं- हाँ आया था।

कमली- तो फिर मेरी भी चूत को चाट !

मैं- चाटनी ही होगी तो शहर की लड़की की चाटूँगा, तेरी नहीं !

कमली- क्यूँ शहर की लड़की की चूत से क्या गुलाब का पानी निकलेगा? चल चुपचाप चाट !

मैंने सोचा, सच ही तो कह रही है, चूत तो सबकी एक जैसी ही होगी... मैंने कमली की टांगें फैला कर बुर चाटना शुरू किया... उसकी बुर से मछली जैसी दुर्गन्ध आ रही थी।

कमली- अहह बाबू... क्यूँ बास आ रही है न...? बस चूसते रहो... महक आने लगेगी।

कमली के क्लाइटोरिस को चाट रहा था... आखिरकार डॉक्टर हूँ पता तो था ही !

उसके जी स्पॉट को चूसने पर उसके बुर से ओर्गास्म का पानी निकलने लगा अर्थात बुर पानी छोड़ने लगी।

अब कमली गर्म हो रही थी और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था... कमली ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया।

कमली- बहुत मुलायम लंड है बाबु... चोद चोद कर कठोर बना दूँगी।

फिर कमली ने एक पैर उठाया... और लंड को अपने बुर में डाल दिया।

लंड फिसल के अन्दर घुस गया... कमली मेरे ऊपर आ गई यानि 'वुमन ओन टॉप' अवस्था में !

कमली ऊपर नीचे उठक-बैठक करने लगी, मेरा लंड फनफना रहा था, कमली की मुलायम जांघें मुझे कसे हुई थी, कमली जितनी छलांग मार रही थी, उसके मुम्मे उछल उछल कर कह रहे थे- चूसो हमें !

मैंने झट से एक स्तन को मुँह में ले लिया और चूसने लगा।

कमली- आह्ह्ह बाबु चूसते रहो... अहह, दूसरा भी चूसो...

कमली के चूतड़ों को मैं मसल रहा था... कमली की पतली कमर और बड़े बड़े गांड और चूची मुंबई दिल्ली की लड़कियों को भी पीछे छोड़ देती... क्या मस्त फिगर था... मॉडल जैसा !

फिर मैं कमली के ऊपर आ गया और धीरे धीरे झटके मारने लगा.... मैंने खुद कमली के होंठों पर अपने होंठ रखे और प्रगाढ़ चुम्बन करने लगा।

कमली- क्यूँ बाबूजी.... बास नहीं आ रही?

मैं- नहीं मेरी जान, अब होश किसे... बस चोदने दे....

मैं मदहोश हो गया चुदाई में ! बीस मिनट तक चुदाई के बाद मैं चरमोत्कर्ष पर पहुँच रहा था !

कमली- न बाबूजी, अभी मत झड़ना, वरना कमली की गांड की प्यास कौन बुझाएगा।

कमली ने मेरे लंड को बुर से निकाला और एकदम से निचोड़ दिया।

मेरे मुँह से सिसकी निकल गई... लेकिन फिर मेरा लंड सामान्य हो गया।

कमली- अब जल्दी से मेरे गांड में तेल मलो और गांड को पेलो।

मैंने उसकी गांड में तेल डाला और लंड अन्दर बाहर करने लगा.... सच क्या मज़ा आ रहा था।

कमली- अहह अहह और तेज़.... याद रखना जब तक किसी औरत की गांड नहीं मार देते वो संतुष्ट नहीं होती।

इसी तरह मैंने उसकी गांड को दस मिनट तक पेली... अब मेरा लंड वीर्य छोड़ने को आतुर हो उठा था...

मैं- बस कमली, मेरा तो निकल जायेगा...

कमली ने झट से मेरा कंडोम उतारा और अपने मुँह में ले लिया।

मैंने सारा वीर्य उसके मुँह में निकाल दिया, कमली सारा वीर्य पी गई।

कमली- यह क्या बाबूजी, तुम हर बार लंड पर रबर बैंड क्यूँ लगा लेते हो इससे मज़ा नहीं आता।

कमली का मतलब कंडोम से था... वो कह रही थी कि कंडोम रहते लड़की को मज़ा नहीं आता।

मैंने कमली को कंडोम का महत्व बताया, कहा- इससे यौन सम्बन्धी बिमारी नहीं होती और गर्भ भी नहीं ठहरता।

अगले तीन दिन तक मेरी छुट्टी थी.... कमली को मैंने तीनों दिन बिस्तर पर नंगी रखा।

बस कुछ ब्रेड और अंडा खाते थे... और बाकी टाइम सेक्स करते थे।

हम तीन दिनों तक न नहाये थे न ही ब्रश किया था।

बस कभी कभी हम लोग टॉयलेट जाते थे।

मैंने तीन दिनों में कमली को दसियों बार चोदा।

वो तीन दिन कैसे बीते, पता ही नहीं चला ! लेकिन उन तीन दिनों में मैं सेक्स का गुरु बन गया।

हम फिर कभी नहीं मिले लेकिन मैं कमली का शुक्रगुज़ार हूँ कि आज मेरा वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखद है...

दोस्तो, शादी से पहले कुंवारे भाइयों से बस इतना कहना चाहूँगा कि सेक्स के बारे पूरा ज्ञान रखें, रंडी या गर्ल फ्रेंड से यौन सम्बन्ध बनाते समय कंडोम का प्रयोग ज़रूर करें क्यूंकि एड्स लाइलाज है।

यह श्रेया आहूजा की प्रस्तुति है जो आप अन्तर्वासना.कॉम में पढ़ रहे थे।

नीतू और मेरा तन-मिलन

नीतू और मेरा तन-मिलन 

दोस्तों मैं लवली, फगवाड़ा पंजाब, से आपके लिए अपनी पहली कहानी लेकर हाजिर हूँ। मैं वैसे तो गाँव से हूँ पर 4 साल पहले इंजीनियरिंग करने के लिए फगवाड़ा के कालेज में प्रवेश लिया था। तब से मैं फगवाड़ा में मामा घर ही रहता हूँ।

मामा के घर में मैं, मामा, मामी और उनके दो बच्चे रहते हैं। मामा सुबह काम पर जाते हैं और शाम को वापिस आते हैं। मामी घर पर अकेली होती हैं तो उनकी सहेलियाँ उनसे मिलने के लिए आ जाती हैं। उनकी एक सहेली जिसका नाम नीतू है वो मुझे बहुत सेक्सी लगने लगी क्यूंकि उसके बड़े बड़े मम्मे मेरा होश उड़ा ले जाने लगे थे और उसकी गांड का क्या बताऊ दोस्तों, शकीरा जैसी थी।

मैं जब भी उसको देखता, बस देखता ही रह जाता। इतनी सुन्दर हुसन परी थी वो कि 35 साल की उम्र में भी 21 साल की लगती थी। उसको चोदने के ख्याल मेरे दिल और दिमाग में पनप चुके थे। मैं तो उस घड़ी की इंतज़ार में था कि कोई मौका मिले और मैं उसकी मस्त जवानी का लुत्फ उठा सकूँ।

एक दिन मैं कॉलेज से वापिस आया और देखा कि मेरी हुस्न परी लॉबी में बैठी है, मामी जी कहीं जाने की तैयारी कर रही थी और नीतू उनकी मदद कर रही थी।

मेरी नज़र कभी नीतू के कूल्हों पर और कभी मम्मों पर घूम रही थी तो अचानक मामी जी ने कहा- थोड़ी मदद कर दे अभी हमारी, नीतू को बाद में देख लेना, आज शाम का खाना नीतू ही बना कर खिलाएगी तुम्हें क्यूंकि हम आज अमृतसर जा रहे हैं।

मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे और उधर नीतू मुस्कुरा रही थी।

थोड़ी देर बाद मामा, मामी और उनके बच्चे अमृतसर के लिए निकल गए। नीतू मुझे कह कर चली गई कि थोड़ी देर में आएगी क्यूंकि उसके घर में उसका एक साल बच्चा शरण अकेला सो रहा था।उसका पति डेढ़ साल से अमेरिका में है और वो यहाँ अकेली रहती है अपने एक साल के बच्चे के साथ। ज़ाहिर है कि उसकी चूत लंड के लिए तड़प रही होगी। बस मेरा काम अब उसी तड़प को शांत करना था।

करीब शाम को सात बजे नीतू आई और उसको देख कर मेरे होश उड़ गए। क्या सेक्सी लग रही थी वो ! मानो परी आ गई हो।

तंग पाजामी और उभरे हुए मम्मे मेरी जान निकाल रहे थे।

आते ही उसने मुझे कहा- लवली, तुम शरण को सम्भालो, मैं रसोई में रात का खाना तैयार करती हूँ।

मैंने बच्चा पकड़ते वक़्त उसके मम्मों को छू लिया तो वो मुस्कुरा कर चली गई।

यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था। मैं उसके बच्चे के साथ खेलता रहा और 8:30 हो गए। उसने खाना तैयार करने के बाद मुझे आवाज़ लगाई कि शरण को लेकर आ जाऊँ।

हम दोनों ने खाना खाया और साथ साथ में उसने अपने बच्चे को भी दूध पिलाया। बर्तन साफ़ करने के बाद वो जाने लगी तो मैंने उसे रोका- आज रात यहाँ पर ही रुक जाओ। मुझे अकेले को डर लगता है।

उसने झट से हाँ बोल दिया, जैसे वो पहले से चाहती हो, उसने कहा- अगर तुम्हें डर लगता है तो मैं तुम्हारे कमरे में ही सो जाती हूँ। मेरी ख़ुशी का कोई अंत नहीं था। हम दोनों बेड पर लेट गए और वो अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी। उसके सुंदर मम्मे मेरे सामने थे। मैंने कहा- आंटी जी, मुझे भी दुधु पीना है।

वो मुस्कुराने लगी और बोली- शरण को सोने दो, फिर तुम्हें भी दुधु पिला दूंगी मेरे लाल !

मुझे समझ में आ चुका था कि आज नीतू पूरी प्लानिंग के साथ आई है अपनी प्यास बुझाने के लिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

शरण सो गया तो उसको साइड में लेटा कर नीतू मेरी तरफ आ गई और अपना सूट उतार दिया और ब्रा भी खोल दी।

मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मैंने झट से उसके मम्मे चूसने शुरू कर दिए, वो मस्ती में आहें भरने लगी और मेरे सर पे हाथ फेरती रही।

मैंने दूध पिया और फिर उसके होंठ चूसने लगा। वो पूरी मदहोश हो चुकी थी। वो अब तंग पाजामी में थी। मैंने उसकी पाजामी को उतार दिया और पैंटी भी उतार दी, अपने कपड़े भी उतार दिए।

तब मैंने उसके कूल्हों को चूमना शुरू किया। बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैंने उसको सीधा लेटाया और उसकी चूत पर होंट रख दिए। मेरी जीभ उसके दाने को जब छूती तो वह एक जोर से आअह भरती तो और मेरे बदन में जोश भर जाता।

वह लगातार मादक आहों से मुझे मदहोश किये जा रही थी। फिर उसने ऊपर आके मेरा 6 इंच का लंड पकड़ कर मुँह में डाल लिया और पूरे जोश में चूसने लगी।

मेरा अपने ऊपर कोई कण्ट्रोल नहीं रहा और उसको लेटा कर टाँगें ऊपर उठा कर लंड चूत के द्वार पर रख के जोर का झटका मारा और पूरा लंड चूत में घुस गया।

नीतू चिल्लाने लगी- निकालो, निकालो।

पर मैं पूरे जोश में था, मैंने लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मैं तेज तेज लंड से घर्षण कर रहा था। दोनों अंतर सुख ले रहे थे। वो भी मेरा साथ देने लगी, फच फच की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था।

कुछ देर बाद मैंने उसको घोड़ी बनने के लिए कहा तो वो झट से घोड़ी बन गई और मैंने लंड पीछे से चूत में डाल दिया और तेज तेज घर्षण करना शुरू कर दिया। उसकी मोटी गांड पर जोर जोर से जांघें बज रही थी। दोनों पूरे जोश में सेक्स का मज़ा ले रहे थे। तो इतने में उसने कहा- मेरा होने वाला है मेरे लल्ला !

मैंने पूछा- मेरा भी, कहाँ छोड़ूँ?

उसने कहा- अपनी मामी की चूत में !

मैंने कहा- मामी यहाँ कहाँ?

उसने कहा- मामी की सहेली भी तो मामी ही हुई ना !

मैं और तेज हो गया और उसकी चूत में झड़ गया। फिर हमने दो बार और सेक्स किया और एक दूसरे की बाहों में लिपट कर सो गए। इसके बाद से हमें जब भी मौका मिलता है, हम सेक्स का मज़ा लेते हैं।

मेरे बचपन का प्यार

मेरे बचपन का प्यार 

मेरा नाम अदित है, आज मैं अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ, आशा करता हूँ कि आपको पसंद आएगी।

बात 2007 की है जब मैं बारहवीं करके इंजीनियरिंग का एक्ज़ाम देने देहरादून गया था। सारे एक्ज़ाम ख़त्म हो जाने के बाद मुझे माँ का फोन आया कि वहाँ उनकी बचपन की सहेली रहती हैं तो मैं उनके यहाँ से हो आऊँ।

हमारे परिवार बचपन से ही काफी करीब रहे हैं तो काफी आना जाना होता था एक दूसरे के घर लेकिन मैं हमेशा से ही घर से बाहर पढ़ा हूँ तो मेरी बातें ज्यादातर फ़ोन पर ही हुआ करती थी, इस बार मौका मिला तो मैं वहाँ चला गया।

मैंने फ़ोन किया कि मैं आपके घर आ रहा हूँ तो मुझे लेने आ जाओ मैं बस स्टैंड के पास ही हूँ।

5 मिनट के अन्दर ही मुझे लेने एक लड़की सोनल आ गई। जब पता चला तो यकीन नहीं हुआ कि यह वोही लड़की है जिसके साथ बचपन में लड़ाई झगड़ा किया करता था और बहुत मस्ती किया करता था। जैसे ही वो करीब आई तो उसने मुझे मुक्का मारा और गले लग गई और कहा- अब याद आई हम लोगों की?

फिर हम घर चले गए और सबसे मिला, सबने खूब गले लगाया और खूब मजे किये। मैं नहा धो कर फ्रेश हो गया और उसके बाद सबने मिल कर खाना खाया और आंटी ने मुझे आराम करने को कहा।

शाम को जब उठा तो बड़ी दीदी रिया ने कहा- अदित, चल आज हम बाहर चलते हैं घूमने !

तो फिर मैं, रिया दीदी और सोनल गाड़ी निकाल कर घूमने चले गये और खूब मजे किए। जब शाम को वापस आये तो रात के दो बजे तक खूब हल्ला किया। अंकल घर पर नहीं थे तो किसी की डांट का डर भी नहीं था।

फिर आंटी ने कहा- अब सो जाओ, सुबह उठ जाना जल्दी और अदित को देहरादून घुमा देना।

फिर हम सोने चले गए। आंटी अपने कमरे में सो रही थी और हम सब एक कमरे में ! दिन भर के थके हुए थे तो जैसे लेटे, वैसे ही सो गए।

रात के 3 बज रहे थे, अचानक मेरी नींद खुली, जब मैंने देखा तो सोनल का हाथ मेरे ऊपर था और उसके रोने की आवाज आ रही थी। जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया- मेरी तबियत ख़राब है।

तो मैंने उसे अपने सीने से लगाया और उसे सुला दिया। मुझे भी बचपन की याद आने लगी तो मैंने उसका माथा चूम लिया और जोर से गले लगा लिया।

पूरी रात हम ऐसे ही सोये रहे।

अगले दिन मुझे जाना था लेकिन सबके कहने पर मैं रुक गया, खूब मस्ती की अब जब तीसरे दिन जाने का वक़्त हुआ तो सोनल रोने लगी, कहने लगी- मुझे भी अदित के साथ जाना है, छुट्टियाँ हैं तो जाने दो !

वो अपनी मम्मी से कह रही थी।

आंटी ने अंकल को कॉल किया और अंकल ने भी हाँ कर दिया। सोनल ने खुशी में जल्दी पेकिंग की और हम चल दिए।

अब हम दोनों मेरे घर में थे जो उसके लिया एकदम नया था, अंजान शहर। माँ भी उसे काफी वक़्त बाद देख रही थी और मेरी बहन भी, अब हम सब मिल कर यहाँ खूब मस्ती करने लगे।

रात को हम दोनों साथ में ही सोया करते थे एक दूसरे से लिपटे हुए हम रात भर बस बचपन की बातें याद किया करते थे, मैं उसे कहता- 'तेरी नाक बहती थी' तो वो भी मुझे ऐसे ही छेड़ा करती थी।

अब तो साथ में सोना रोज का ही काम हो चुका था, मैं रात भर उसके बालों में हाथ फेरा करता था। वो कहती- अदित, मेरी पीठ में खुजली कर दो !

तो मैं पीठ में हाथ रात भर डाले रखता था।

अभी वो जवान हो ही रही थी तो ब्रा नहीं पहनती थी। धीरे धीरे एक दूसरे को चूमना शुरु हो गया ! हम दोनों रात भर एक दूसरे के बदन को छूते रहते और होंठ से होंठ चूसा करते।

अब मेरे एक्ज़ाम का रिजल्ट आ चुका था और मैं अच्छी रेंक से मेरिट में आ चुका था। हम न चाहते हुए भी फिर से एक दूसरे से दूर हो गए। लेकिन एक दूसरे से प्यार कर बैठे। न मैं उससे कह पाया ना वो मुझसे कह पाई।

मैं अपने कॉलेज चला गया वो भी अपना कॉलेज ज्वाइन कर चुकी थी। अब जब हमारी दूसरी मुलाकात हुई तो दो साल बाद मैं उनके घर गया। जैसे ही मैं गेट पर पहुँचा तो वो भागी भागी मुझसे मिलने आई और गले लग गई।

रात को जब सोने लगे तो हम साथ में ही सोने चले गए। आज की रात मेरी जिन्दगी की यादगार रात होने वाली थी। हम आज तक एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाए थे। जब सोये हुए थे तो अचानक उसने मेरा हाथ अपनी कमर के अन्दर डाला और बोली- इस हाथ को बहुत मिस किया।तो मैंने कहा- मैं भी तेरी पीठ में हाथ डालना बहुत मिस करता रहा !

तो उसने कहा- तो डालो न हाथ।

अब जैसे ही मैंने हाथ डाला तो देखा कि हाथ में कुछ अटक रहा है, मैंने पूछा- यह क्या है?

तो वो बोली- अब आपकी सोनल बड़ी ही चुकी है।

मैंने जोर से उसे अपने सीने से लगाया और चूमने लग गया ! उसकी आँखों में आँसू देखे तो मैंने कहा- ये किस बात के आँसू हैं?

तो वो बोल पड़ी- पिछली बार जब आये थे तो भी यही आंसू थे और आज भी यही हैं ! आपको अपने इतने करीब पाकर और किसी चीज़ की चाहत नहीं होती !

और बोली- आई लव यू !

फिर क्या था, मैं भी अपने दिल की दबी बात बोल उठा।

हम आज और भी करीब आ चुके थे, उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी छाती के अन्दर डाल दिया और कहा- देखो कितनी बड़ी हो गई है आपकी सोनल !

मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि कल तक जिसकी नाक बहा करती थी आज वो इतनी बड़ी हो चुकी है।

मैं उसके उभार सहलाने लगा और उसकी सिसकारियाँ छुटने लगी। मैं आज उसे बताना चाहता था कि मैं उसे कितना प्यार करता हूँ। मैंने उसकी ब्रा खोल कर उसके स्तन दोनों हाथों में लेकर दबा रहा था, इतने में वो मेरे होंठ चूमने लगी।

अब मुझे भी कुछ महसूस हो रहा था। अचानक मेरा हाथ उसकी पैंटी के अन्दर चला गया और उसकी नाजुक सी चूत पर हाथ फेरने लग गया !

फिर अचानक उसने मेरा हाथ खींच लिया और मुझसे लिपट कर रोने लगी।

अब मैं उसे बस प्यार करना चाहता था और मैंने रात भर उसे अपने सीने से लगा कर रखा और उसका माथा चूमता रहा !

अब जब सुबह हुई तो वो न मुझसे नज़र मिला पाई, ना मैं उससे नज़र मिला पाया। मेरी ट्रेन का वक़्त हो चुका था तो मैं निकल आया और 6 घंटे के सफ़र में बस यही सोचता रहा कि मैंने कुछ गलत तो नहीं किया जिसकी वजह से मैं अपने बचपन के प्यार को खो दूँ। हम एक महीने तक आपस में बात नहीं कर पाए क्योंकि इतना कुछ हो चुका था !

धीरे धीरे बात फिर शुरु हुई और पता चला कि वो खुद को कसूरवार समझ रही थी और मैं अपने को ! इस वजह से हम एक दूसरे से बात नहीं कर पाए !!

धीरे धीरे हम दोनों के बीच प्यार बढ़ने लगा। अब इस बार मेरा पूरा परिवार उनके यहाँ जा रहा था, मैं भी साथ था।

रात हुई हम आज फिर एक साथ थे, मैंने उसकी स्कूटी पकड़ी और हम घूमने निकल गए। मैं उसे वक़्त देना चाहता था। हमने खूब मजे किये और रात 11 बजे घर आये। घर में सबको पता था कि बचपन से साथ में हैं, खूब मस्ती करते हैं तो किसी ने लेट आने पर कुछ नहीं कहा और कहा- खाना खाकर आराम करो !

हम दोनों ने खाना खाया और खाना खाने के बाद छत के ऊपर चले गए। मैंने उसे अपनी बाँहों में पकड़ कर कस लिया और वो मेरे होंठ चूमने लगी। मेरे हाथ धीरे धीरे उसके कमर से वक्ष की तरफ बढ़ रहे थे जैसे ही उरोज हाथ में आये, मैंने उसे दीवार से सटा लिया और खूब चूमने लगा। जोर जोर से चूचियाँ दबा ही रहा था कि उसने अपना टॉप ऊपर किया और कहा- ये सब आपका है।

मैंने ब्रा निकाल कर फेंकी और चूचियाँ दबा दबा कर चूसने लगा। आज पहली बार मैं सोनल के स्तन देख रहा था। करीब एक घंटे तक हम छत पर यूँ ही प्यार करते रहे, फिर नीचे से आंटी की आवाज आई- अब नीचे आकर सो जाओ।

हम एक कमरे में सोने चले गए। आग तो लगी ही थी, ऊपर से हम अकेले कमरे में थे।

मैं खिड़की बंद कर रहा था कि देखा सोनल ने दरवाजा बंद कर दिया और आकर मुझसे लिपट गई। हम दोनों बिस्तर पर गिर पड़े ! लाइट मैं ऑफ कर चुका था, अब मैं धीरे धीरे उसको छूने लगा तो वो बिस्तर पर पसर गई। मैंने उसके स्तन दबाने शुरु किये, उन्हें चुसना शुरु किया ही था कि सोनल का हाथ मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी पैंटी में ले गया और उसने कहा- मुझे माफ़ कर दो ! पिछली बार आपके साथ बुरा किया !

तो मैंने उसकी जींस निकाल कर फैंक दी। इतने में उसने अपना टॉप उतार दिया, अब वो बस ब्रा और पैंटी में ही थी।

मैं धीरे से उसकी चूत सहलाने लगा तो उसकी सांसें तेज हो रही थी। जैसे जैसे उसकी सांसों की आवाज सुन रहा था, मैं और जोर से चूत सहलाने लगा। अचानक मैंने पैंटी उतार दी और चूत चाटने लगा।

'आआह्ह्ह आह्ह्ह्ह !" अब जो आवाज सोनल की सुनाई दे रही थी वो मुझमें जोश भर रही थी। करीब बीस मिनट तक मैं चूत चाटता रहा।

अब उसने मेरे कपड़े उतारने शुरु किये और कहा- जान यह क्या है?

तो मैंने कहा- यह आपका ही है।

अब वो उसे अपने हाथ में ले चुकी थी। मैं उसे समझा रहा था कि ऐसे करो लेकिन उसे नहीं करना आया। अब मैं उसकी टाँगें चौड़ी करके फिर चूत चाटने लगा तो वो मुझे अपने ऊपर खींचने लगी। मैंने अपना लोड़ा उसके मुँह में डाल दिया और खूब चुसवाया।

मैं झड़ने ही वाला था तो जैसे ही बाहर निकालने की कोशिश की, सारा माल उसके मुँह में गिर गया।

अब वो आग में जल रही थी और मैं भी उसकी नाजुक सी चूत को फाड़ने के लिए मर रहा था।

अब वो मेरे ऊपर आ चुकी थी और मैं उसके दूध दबा रहा था।

आधे घंटे बाद मैं पूरे जोश में आ गया और उसकी चूत के मुंह पर अपना लोड़ा रखा तो वो अई ईए करने लग गई। मैंने अपने होंठ से उसके होंठ चूसने शुरु किये और अचानक जोर का धक्का मारा और पूरा लोड़ा अन्दर जा चुका था।

फिर क्या था कुछ देर में दर्द मजे में बदल चुका था।

मैं अह अह आहा अह आहा अह आहा... कर रहा था और वो ईई ईई ईई आह्ह आआअह्ह की आवाज से मुझ में जोश भर रही थी।

उस रात हम अपने बीच की सारी दूरियाँ मिटा चुके थे.. पूरी रात हम एक दूसरे को प्यार करते रहे...

और अब जब भी हमें मौका मिलता है तो हम खूब एन्जॉय करते हैं...

कभी कभी तो हम अब होटल में रूम लेकर एक दूसरे के साथ वक़्त बिताते हैं...

आज हम दोनों के प्यार को 5 साल होने को हैं लेकिन न हम दोनों के बीच कभी लड़ाई हुई है न कोई कहासुनी !

सच दोस्तो, बचपन का प्यार अगर साथ हो तो और क्या चाहिए..

उम्मीद करता हूँ आपको कहानी पसंद आई होगी।

मुझे मेल जरूर लिखें... आपकी प्रतिक्रिया के आधार पर ही मैं आगे की कहानी लिखूँगा।

अपने घर बुला कर चुदवाती थी

अपने घर बुला कर चुदवाती थी

यह मेरी पहली कहानी है। बात उस समय की है जब मैं 18 साल का था और अपने मम्मी पापा के साथ जोधपुर में रहा करता था। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था जिसमें पति-पत्नी और उनका एक दो साल का बच्चा था। मैं उनको भैया-भाभी कहता था। भाभी की उम्र करीब 32 थी पर वो बला की खूबसूरत थी। 38-30-36 रंग गोरा और कद भी अच्छा था। मैं उनके घर अक्सर जाता था। दोपहर में भाभी घर में अकेली होती थी। मेरा मन उनका नंगा बदन देखने का होता था उनके बारे में सोचकर मैं अक्सर मूठ मारता था।

मैं एक दिन दोपहर में उनके घर बर्फ लेने गया, वो सो रही थी, मैंने घण्टी बजाई तो थोड़ी देर बाद उन्होंने दरवाज़ा खोला।

वो नाइट ड्रेस में थी और उनके आधे मम्मे दिख रहे थे।

मेरी नज़र उनके मम्मों पर टिक गई।

अचानक उन्होंने मेरे गाल पर धीरे से चपत लगाई और बोली - क्या हुआ? क्या देख रहे हो?

मैं हड़बड़ा गया, कुछ नहीं बोल पाया और नज़रें नीची कर ली।

उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और बैठने को कहा। मैं चुपचाप बेड पर बैठ गया।

वो मेरे सामने आकर खड़ी हो गई और बोली- मुझे पता है तुम क्या देखते रहते हो !

मैंने ऊपर उनकी ओर देखकर कहा- आप बहुत सुंदर हो भाभी !

वो मुस्कुराई और बोली- अच्छा? सच कह रहे हो, वो तो मैं हूँ ! तुम बताओ कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड भी मेरी जैसी सुन्दर है?

मैंने कहा- नहीं, मेरी तो कोई है ही नहीं !

फ़िर मैंने हिम्मत करके उन्हें सीधा कहा- मैं आपकी सुन्दरता बिना कपड़ों के देखना चाहता हूँ।

वो हंस पड़ी और बोली- सिर्फ़ देखना चाहते हो?

मैंने कहा- हाँ ! वो मुझसे कुछ दूर हुई और अपनी नाइट ड्रेस उतार दी। अब वो ब्रा और पैंटी में थी। उनके मम्मे आधे से ज्यादा दिख रहे थे और उनकी गोरी गोरी जांघें देखकर मैं पागल हो रहा था, मेरा लंड खड़ा हो गया था।

उन्होंने अपने मम्मों पर हाथ फेरते हुए कहा- और क्या देखना है?

मैंने कहा- आपके मम्मे बहुत जबरदस्त हैं ! प्लीज़ अपनी ब्रा खोलिए ना !

उन्होंने अपनी ब्रा का हुक खोला और धीरे धीरे उतारने लगी। मैं पागल हुआ जा रहा था। अंत में उन्होंने अपनी ब्रा पूरी उतार दी और मेरे सामने दो बड़े गोल गोरे मम्मे थे, जी कर रहा था कि पकड़ कर चूस लूँ !

वो अपने मम्मों पर हाथ फिरा रही थी और मेरे लंड की ओर देख रही थी जो एकदम सख़्त हो गया था।

उन्होंने कहा- और कुछ देखना है?

मैंने उनकी चूत की ओर देखते हुए कहा- आप अपने हुस्न से आखिरी पर्दा भी हटा दो।

उन्होंने अपनी पैंटी भी उतार दी। उनकी चूत एकदम साफ और गोरी थी, कोई बाल नहीं, एकदम गुलाबी चूत मैंने पहली बार देखी थी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं खड़ा हो गया और उनके पास जाने लगा तो उन्होंने हाथ के इशारे से मुझे रोका, बोली- नहीं, तुमने कहा था कि तुम मुझे नंगी देखना चाहते हो ! अब तुम मुझे हाथ नहीं लगा सकते।

मैं पागल हो रहा था, मैंने कहा- प्लीज़ भाभी, मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा, प्लीज़ मुझे हाथ लगाने दो ना?

उन्होंने हंसते हुए कहा- पहले अपना लंड मुझे दिखाओ।

मैंने जल्दी से अपनी पैंट उतार दी और अंडरवीयर भी निकाल दिया। मेरा 7 इंच का लंड उनके सामने था। उसे देखते हुए उनकी आँखों में चमक आ गई, वो बोली- इतना बड़ा और मोटा लंड है, बहुत मज़ा आएगा।

वो मेरे पास आई और मेरे होटों पर अपने होंट रख दिए। मैं पागलों की तरह उनके होटों को चूस रहा था। उनका एक हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया था। मेरा एक हाथ उनके मम्मों पर था और दूसरा उनकी चूत पर फिरा रहा था।थोड़ी देर चुमाचाटी करने के बाद मैंने उनके मम्मों को पकड़ लिया और चूसना शुरू कर दिया।

वो बोली- चूसो इनको, खूब चूसो.. आह !

मैं अब उनके दोनों मम्मों को भरपूर चूस रहा था और वो मेरे लंड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थी। थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझसे बेड पर लेटने को कहा। मैं बेड पे लेट गया और वो मेरे पास उल्टी लेट गई, उनकी चूत मेरे मुँह के पास थी और उनका मुँह मेरे लंड के पास। मैं समझ गया कि क्या करना है। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया और वो मेरे लंड को चूसने लगी।

मैं मानो स्वर्ग में था !

उनकी चूत पूरी गीली थी। वो मेरे लंड को बहुत तेज़ी से अपने मुँह के अंदर बाहर कर रही थी और मैं भी उनकी चूत में अपनी जीभ अंदर-बाहर कर रहा था। करीब 10-15 मिनट बाद हम दोनों अलग हो गये और फिर से चुम्बन करने लगे। मैंने उनके मम्मे दबाए और चूसने लगा।

वो पागल हो चुकी थी, वो बिस्तर पर लेट गई और बोली- मेरे मम्मो को चोदो।

मैं उनके ऊपर बैठ गया। उन्होंने अपने मम्मों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और पास ले आई और मुझे अपना लंड उनके बीच में डालने को कहा।

मैंने अपना लंड दोनों मम्मों के बीच डाला और फिर आगे पीछे करने लगा। जब मेरा लंड आगे जाता, वो अपना मुँह करीब लाकर उसको मुँह में लेती और चूसती।बहुत मज़ा आ रहा था मुझे मम्मे चोदने में !

थोड़ी देर बाद वो बोली- अब रहा नहीं जाता, मेरी चूत में लंड डालो।

मैं नीचे हुआ और उनकी दोनों टाँगों को पकड़कर फैला दिया। फिर अपना लंड उनकी चूत पर रखा और धीरे धीरे अंदर डालने लगा।

वो बोली- जल्दी पूरा अंदर घुसा दे ना ! इतना बड़ा लंड है बहुत मज़ा आएगा !

मैंने एक तेज़ झटके में पूरा लंड अंदर घुसा दिया और उनके मुँह से आह निकली।

अब मैं उनको तेज़ी से चोद रहा था और वो भी अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी।

5 मिनट तक चोदने के बाद वो घोड़ी बन गई, मैंने उनके कूल्हों को पकड़ा, उन पर अपना लंड फिराया, गाण्ड के छेद पर भी अपना लण्ड रगड़ा और फिर चूत में अपना लंड डालकर चोदना चालू कर दिया।

कमरा उनकी सिसकारियों से गूँज रहा था और मैं उनको बिना रुके चोदे जा रहा था।

वो बोली- चोदो और चोदो ! इतनी मस्त चुदाई कभी नहीं हुई है मेरी। बहुत मज़ा आ रहा है।

मैं जोश आ गया और मैं तेज़ी से चोदने लगा। करीब 10 मिनट चोदने के बाद मैं झड़ गया और वो भी शांत हो गई। मैंने अपना लंड निकाला और बैठ गया। वो 5 मिनट बाद उठी और मेरे लंड को पकड़कर चूसने लगी।

2 मिनट चूसने के बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। वो पागलों की तरह उसे चूस रही थी।

थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने उनसे कहा- मेरा रस छूटने वाला है !

तो उन्होंने बोला- कोई बात नहीं।

2-4 बार चूसने के बाद मेरे लंड से तेज़ी से रस निकलने लगा जिसको उन्होंने पूरा अपने मुँह में ले लिया।

इसके बाद अक्सर वो मुझे अपने घर बुला कर चुदवाने लगी थी।

दो महीने बाद उनकी छोटी बहन उनके साथ रहने आई तो मेरी नज़र अब उस पर थी। मैंने उसको कैसे चोदा, जानने के लिए इंतज़ार करें !

आपको कहानी कैसी लगी, प्लीज़ अपनी रॉय मुझे भेजें !

बोन्टा पार्क में माशूका की चुदाई

बोन्टा पार्क में माशूका की चुदाई

मेरा नाम दीपक है, देहली का रहने वाला हूँ। वैसे तो मैंने 35 से ज्यादा फ्रेश लड़कियों के साथ सेक्स किया है, मगर लिख आज पहली बार ही रहा हूँ...

अपने बारे में हर कोई तारीफ़ करता है मगर उस तारीफ़ के लायक कौन है, यह तो आप ही बता सकते हैं... मेरी लम्बाई 5'10" और लंड की लम्बाई साढ़े छः या सात इंच होगी क्यूंकि कभी नापा नहीं।

मेरा पहला प्यार जिसे मैंने प्यार भी किया और इस्तेमाल भी...

वैसे तो हम दोनों एक ही गली में रहते थे जिससे मेरा और उसका एक दूसरे के घर में आना जाना था, हमारी बात भी हो जाती थी और कुछ हरकते भीं। मेरी माशूका की लम्बाई मुझसे थोड़ी सी कम थी, इतनी कि मैं बिना झुके उसको चूम सकता था। उसका फिगर गज़ब का था, उसके चूचे 34 या 36 होगे और कमर 26 और गांड तो बस ऐसे थी कि फुद्दी कम और गांड मारने का ज्यादा मन करता था...

एक दिन मैंने उसे सुबह सुबह स्कूल से पिक किया और बोंटा पार्क ले गया क्यूंकि मैंने सुना था कि वहाँ कुछ कारनामा भी कर सकते हैं।

हम 8:30 वहाँ पहुँच गए... पार्क में कम ही लोग थे जो जोगिंग कर रहे थे...

पहले मैं उसके साथ बैठे बैठे बात करता रहा फिर जब थोड़ी देर बाद देखा कि पार्क खाली हो गया है तो उसे थोड़ी झाड़ियों में ले गया... मैंने उससे एक चुन्नी मंगवाई हुई थी, उसे मैंने ज़मीन पर बिछा दिया और उसे लेटने को कहा... वो मुझे बहुत प्यार करती थी इसलिए मेरी बात बिना कुछ बोले मान गई और चुपचाप लेट गई।

मैंने अपने कपड़े नहीं उतारे बस जींस की जिप खोली और उसने स्कर्ट तो पहना ही हुआ था इसलिए उसके कपड़े उतारने की ज़रूरत नहीं थी। मैंने पहले दस मिनट उसके साथ चूमाचाटी की... जब उसके मुँह से आआह्ह आआ अह्ह्ह की आवाज़ें आने लगी तो मैंने उसकी शर्ट में अपना हाथ डाला और उसकी एक चुच्ची को ब्रा से बाहर निकाल कर दबाने लगा... उसे मज़ा आ रहा था क्यूंकि वो मेरे बालों में अपना हाथ फेर रही थी...

अब मेरी बदन भी गर्म हो रहा था, मेरी साँसें तेज हो चली थी तो मैंने देर न करते हुए उसके चूचे को अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा जैसे कि वो मुझे दुबारा नहीं मिलेगी... मैंने उसके स्तनों को इतना चूसा कि वो 2-3 मिनट में ही लाल हो गए और वो मुझसे बचने की कोशिश करने लगी।

थोड़ी देर चूचियाँ चूसने के बाद मेरा मन उसकी फुद्दी को देखने का किया तो मैं धीरे धीरे उसकी छाती से नीचे आने लगा और उसकी स्कर्ट को थोड़ा ऊपर कर दिया ताकि मुझे उसकी फुद्दी के दर्शन हो सकें, जिसके लिए मैं बेताब था...

उसने मेरा हाथ पकड़ने की नाकाम कोशिश की मगर जब शेर भूखा हो तो उसे कोई नहीं रोक सकता... मेरे थोड़ी ताकत लगाते ही उसकी स्कर्ट उसकी जांघों से ऊपर आ चुकी थी और मैं उसकी काली पेंटी के दर्शन आराम से कर सकता था...

उसकी पेंटी देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया मगर पार्क में होने की वजह से मैं उसकी फ़ुद्दी चाटने में वक्त बर्बाद नहीं कर सकता था... देर न करते हुए मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसकी फुद्दी के छेद पर रख कर जोर लगाया। मगर पहली बार करने की वजह से लंड फिसल फिसल कर भाग रहा था। मैंने थोड़ा थूक लगाया और जोर का झटका मारा जिससे आधे से ज्यादा लंड उसकी फुद्दी में घुस गया और वो एकदम से चिल्लाई- ...दीपक, इस लोहे की डण्डे को बाहर निकालो... मुझे दर्द हो रहा है...

मैंने उसकी आँखों से निकलते आँसू चाटते हुए कहा- बेबी, अब आराम से करूँगा !

मगर उसके शायद ज्यादा ही दर्द हो रहा था क्यूंकि वो बस रोये ही जा रही थी... यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं 5 या 7 मिनट ऐसे ही लेटा रहा बिना हिले... अब वो मुझे चूमने लगी थी शायद उसका मन कर रहा था अब चुदवाने का...

मैंने भी धीरे धीरे हिलना शुरु कर दिया। मगर हूँ तो लड़का ही, जब जोश आया तो झटके तेज तेज मारने लगा जिससे मेरा पूरा लंड उसकी फुद्दी में उतर गया... अब वो चिल्ला कम रही थी और जोश ज्यादा दिला रही थी... उसकी आःह्ह्ह आआआअ की आवाज़ें मेरे कानों के अलावा दूसरे के कानों में भी जा सकती थी... घास में लेटने की वजह से न तो कोई पोज बना सकता था और न ही आराम से कर सकता था...

10 मिनट झटके मारने के बाद फच फच की आवाज़ आने लगी... मैंने थोड़ा उठकर देखा तो उसकी फुद्दी में से खून निकल रहा था...

मैंने डर के मारे उसे कुछ नहीं बताया कहीं वो घबरा न जाए और मुझे काम भी न करने दे... मैंने फिर अंदर डाल कर झटके मारना शुरु कर दिया... उसके मुँह से बस 'आआअह्ह्ह्ह आःह्ह्ह ! फक मी ! ऊऊओ फक मी !' की आवाज़ें ही आ रही थी और मैं उसकी ये आवाज़ें सुन कर इतने तेज तेज झटके मार रहा था कि मैं भूल ही गया था कि मैं पार्क में हूँ...

25-30 झटकों के बाद मैंने देखा कि मुझे शर्ट से किसी ने पकड़ा और ऊपर उठा दिया...

मैंने ऊपर देखा तो 4 पुलिस वालों ने मुझे घेरा हुआ था...

मैं कुछ बोलता, इससे पहले एक पुलिस वाले ने मेरे एक थप्पड़ मारा और बोला- साले इसे अंदर कर...

थप्पड़ की आवाज़ सुनते ही मेरी माशूका की आँख खुली और वो नजारा देखते ही वहाँ से उठकर भागी और थोड़ा दूर खड़ी हो गई...

मैंने डर के मारे जल्दी से अपना लंड अंदर किया... लंड अंदर करते ही मुझे पर थप्पड़ों की बरसात हो गई... कोई यहाँ से मारता तो कोई वहाँ मारता...

मैं थोड़ा सँभालते हुए बोला- अंकल रुको तो सही, कुछ बोलने का मौका तो दो...

यह सुनते ही वो रुक गए- बोलियो बाद में, पहले जेल चल...

यह सुनते ही मेरी गांड हवा ले गई... सारे पुलिस वाले एक एक करके प्रश्न पूछने लग गए...एक थप्पड़ और एक प्रश्न और थप्पड़ों के असर से मेरे मुँह से सच के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था...

सारी जानकारी लेने के बाद वो मुझे खींचने लगे ! अब मेरी गांड फट कर चार हो गई, मुझे लगा कि आज ये मुझे अपना दामाद बना कर ही छोड़ेंगे।

वे मुझे खींचते हुए ले ही जा रहे थे कि इतने में मेरी सहेली बोली- अंकल प्लीज इसे छोड़ दो... अब से यहाँ नहीं आयेंगे...

तभी पुलिस वाला बोला- जब सात साल के लिए अंदर जायेगा तो यहाँ कैसे आएगा...

अब मैंने ज्यादा देर न करते हुए सीधा बोल दिया- अंकल प्लीज पैसे लो और मुझे जाने दो...

10 मिनट ड्रामा करने के बाद उसने 300 रूपए लिए और तब मुझे छोड़ा...

वहाँ से निकलने के बाद मेरी गांड इतनी फट रही थी कि कार में भी अपनी माशूका से बात नहीं की और चुपचाप कार चलाकर घर ले आया और राहत की साँस ली...

पहले प्लेटफ़ार्म पर फिर ट्रेन में टी.सी.

पहले प्लेटफ़ार्म पर फिर ट्रेन में टी.सी.

रणाम दोस्तो, एक बार फिर से आपका गांडू सनी आपके लिए अपनी चुदाई लेकर हाज़िर है। मुझे बहुत ज़रूरी काम के लिए आगरा जाना पड़ा, एक तो पहले से ही स्टेशन पर ही एक लंड ने मेरी गांड गर्म कर दी, मेरी बुकिंग थी छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस की लेकिन बीस नंबर वेटिंग में मिला था, मुझे वहाँ टी.सी। ने कहा था कि तुम काउंटर टिकट खरीद लो, जब ट्रेन चलेगी तो वहाँ ट्रेन वाले टी.सी को थोड़ा बहुत सेवा पानी देकर कोई सीट कन्फर्म करवा लेना।

मैंने उसकी बात मान ली, मैं काफी देर पहले स्टेशन चला गया था इसी वजह से कि टिकट लेनी थी, कन्फर्म भी तो करवानी थी। मैंने सोचा, अभी समय है, स्टेशन के सामने ठेके से मैंने क्वाटर खरीदा, दो उबले अंडे लिए, दो पैग खींचे, वापस प्लेटफोर्म पर आ गया।

मुझे नशा होने लगा, मैं एक बेंच पर बैठ गया। मैं बिळ्कुल आखिरी बेन्च पर बैठा था। मेरी नज़र अँधेरे से कुछ हलचल सी होती दिखी गौर से देखा एक मेरे जैसा कोई गांडू कुली को अपनी अदा से दीवार पर हाथ रख गांड को हिला कर एक हाथ पीछे लेजा बरमूडा के ऊपर से गांड को सहला रहा था, वो कुली देख रहा था कि यह लड़का क्या कर रहा है।

उसने कुली को इशारा सा किया और प्लेटफ़ार्म से नीचे उतर दीवार के पीछे चला गया। कुली ने अपने लुल्ले को धोती के ऊपर से पकड़ा खुजलाया, मानो उस लड़के की हरकत से उसका खड़ा था। वो भी मौका देख दीवार के पीछे गया, मैं धीरे से गया, दीवार की इस तरफ़ खड़ा हो गया।

कुली बोला- हाँ बे साले, क्या तब से गांड हिला रहा था?

"तुम कोई अनजान हो इस बात से? समझ कर यहाँ आ गए तो !'

"हाँ तो क्यूँ बुलाया?" मैंने धीरे से मुंडी आगे की, देखा उस लड़के ने उसका लुल्ला पकड़ लिया।

वहीं पाँव के बल बैठ गया। ठीक से लंड का आकार-रंग नहीं दिख रहा था। वो चुप्पे लगाने लगा।

"वाह साले, तुम तो माल हो ! मेरा तो पानी निकल जाएगा !"

लड़का खड़ा हुआ और बरमूडा थोड़ा खिसका कर उल्टा खड़ा होकर झुक गया, कुली ने थूक लगाया और लुल्ला घुसा दिया- मजा आया गांडू?

"हाँ, झटके लगा जोर जोर से !"

दो मिनट में ही कुली ने उसकी गांड को रस से भर दिया।

"उह कितना पानी निकला तेरे लुल्ले से !"

मैं वहाँ से हट गया, वापस आया, पव्वे में जो बचा था, थर्मोकोल के ग्लास में डाला, कोक मिलाया और खींच कर प्लेटफोर्म की आगे तरफ चलने लगा।

मेरी नज़र बुक स्टाल पर गई, वहाँ गया एक गर्म किस्सों की किताब निकाली, तभी मेरे पीछे भी कोई ग्राहक खड़ा था, उसका लंड मेरी गांड पर घिस रहा था। मैंने और किताबें देखनी शुरु कर दी। धीरे धीरे से गांड को पीछे धकेला ताकि उसको महसूस हो सके।

अब वो वहीं खड़ा खड़ा किताबें देखने लगा।

काफी भीड़ थी, ट्रेन चलने में बीस मिनट बचे थे, मैंने गाण्ड को और धकेला और इस बार गाण्ड को थिरकाया, उसका लंड अब हरकत में था, थोड़ा खड़ा हो चुका था। उसने मेरी गांड पर हाथ फेर दिया, दो तीन बार फेरा, मैं मुड़ा, मुस्कुराया और प्लेटफ़ार्म की उसी तरफ गया जहाँ दूसरे गांडू ने कुली को बुलाया था।

वो जल्दी से मेरे पीछे आ गया, समय बर्बाद किये बिना हम लिपट गए।

मैंने कहा- सिर्फ पन्द्रह मिनट हैं !

उसने लंड निकाला, मैंने पकड़ा, काफी बड़े आकार का था !

"कैसा लगा?"

"मस्त है !"

"घूम कर थोड़ा झुक जा !"

मैंने कहा- रुक !

जल्दी से बैठ कर चूसा, काफी थूक लगा कर चूसा।

"वाह यार, तू कमाल का है !"

मैंने भी लोअर खिसकाया और झुक गया। वो घुसाने लगा तो मैंने रोका और जेब से कंडोम निकाल कर उसे दिया।

उसने कहा- वाह, पक्का गांडू है !

"जल्दी कर, ट्रेन चलने वाली है !"

उसने झटका लगा कर लंड गांड के फ्रेम में उतार दिया, झटके लगाने लगा। अभी मुझे स्वाद आने लगा था कि उसका काम हो गया। मुझे गुस्सा बहुत आया लेकिन जल्दी थी, कुछ न बोला।

उसने अपना नंबर दिया, बोला- जल्दी में जल्दी काम तमाम हुआ ! कमरे में तुझे पूरा सुख दूँगा ! वापस आते ही मिलना !

मैं जल्दी से भागा ट्रेन की तरफ और अपने उस डिब्बे में घुस गया जहाँ मुझे उस टी.सी ने कहा था। तब उस डिब्बे में कोई भीड़ नहीं थी, मैं एक खिड़की वाली साइड बैठ गया। मेरी गांड गीली गीली सी हुई थी, उसको देने के बाद जल्दी से लोअर पहन लिया था।

बैग को ऊपर रखा और मैं बाथरूम में घुस गया, रुमाल से अपनी गांड को साफ़ किया और वापस सीट पर बैठ गया।

करते करते ट्रेन जालंधर पहुँच गई, वहाँ से काफी सवारियाँ चढ़ी, मुझे काफी डर भी था, बैठ तो गया, अब क्या सेवा पानी लेकर टी.सी मुझे सीट देगा? कहीं जुर्माना न लगा डाले !

लुधियाना से काफी यात्री चढ़े और मुझे वो सीट छोडनी पड़ी, खिड़की के पास वाली सीट खाली थी। लुधियाना से जब ट्रेन छूटी, तब रात हो गई थी, मैंने देखा दूसरी खिड़की वाली साइड से टी.सी धड़ाधड़ टिकट चेक करता आ रहा था। मेरी गांड फटने लगी, बिना लंड फटने लगी !

मैंने बैग खिड़की के पास रखा और उस पर बैठ गया। वो दूसरे डिब्बे में घुसने वाला था कि उसकी नजर मेरे ऊपर पड़ी, बोला- हाँ, तू यहाँ क्यूँ बैठा है?

मैं खड़ा हुआ, बोला- यह काउंटर टिकट खरीदी थी, वहाँ टी.सी साब ने कहा था कि डिब्बे में आपसे किसी खाली सीट पर एडजस्ट

करवाने की रिक्वेस्ट करने को कहा।

वो कड़क कर बोला- यह तेरे बाप की ट्रेन नहीं है, किसी ने कह दिया और तू यहाँ बैठ गया, जुर्माना लगेगा, वरना साथ में अगले स्टेशन उतार पुलिस को दे दूँगा।

"सर, देखो कुछ कर दो, मैं फीस दे रहा हूँ !"

"तुम लोग ऐसे समझ लेते हो कि जैसे टी.सी गांड मरवाने के लिए भरती किये हैं?"

"नहीं सर, मैं ऐसा क्यूँ समझूँगा, आपके हाथ में ही तो सब होता है !'

"अब यार गांडू चार पांच सौ निकाल !"

"इतने नहीं हैं, गांडू कह लो, लेकिन सीट दे दो !"

"साले, तुझे गांड मरवाने को कह दूंगा तो क्या फिर भी यही कहोगे कि चाहे गांड मार लो, सीट दे दो !'

मैंने इधर उधर देखा, धीरे से बोला- हाँ सर, तैयार हूँ उसके लिए ! पूरे मजे दे दूँगा !

वो हैरानी से मेरा चेहरा देखने लगा।

"आपकी ड्यूटी सफल कर दूँगा !"

"यार तुम भी ना ! सीट देखता हूँ तेरे लिए ! चल तब तक मेरे साथ !"

दो डिब्बे आगे जाकर उसने मुझे अपने केबिन में सीट पर बिठाया, बोला- मैं चेक करके आता हूँ, फिर देखता हूँ कोई खाली हुई तो तुझे दे दूँगा ! जो कहा था उसपे कायम रहेगा ना?"

"हाँ हम दो जने होंगे !"

"चलेगा सर !"

चल अब बेफ़िक्र होकर लेट जा !"

सामान रख मैंने केबिन का छोटा सा दरवाज़ा बंद किया, पर्दा आगे कर दिया। पौने घंटे बाद वो टी.सी आया और बोला- साला पक जाते हैं यह ड्यूटी करते करते हुए !

"यह देख !" उसने लिस्ट दिखाई, एक सीट नंबर को पेन से गोल किया, बोला- यहाँ से फ्री होकर तुम इस डिब्बे की इस सीट पर आराम करना !

वो मेरे बराबर में बैठा था, मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखते हुए सरकाया, बोला- धन्यवाद सर, आपने मेरी सुन ली।

मैंने हाथ और आगे सरकते हुए उसके लंड को पकड़ लिया, मसलने लगा। उसका खड़ा होने लगा तो मैंने उसकी जिप खोल ली, उसके लंड को निकाला।

काला कोबरा था, काफी बड़ा लंड था !

"कैसा लगा?"

"बहुत ज़बरदस्त है !"

मैंने मुँह में लिया, वो पागल होने लगा।

तभी दूसरा टी.सी आया- वाह, तो यह है माल ! यह तो तेरा मुँह में डालकर बैठा है !

मैंने टीशर्ट उतारी, वो मेरी लड़की जैसी नर्म छाती देख बोला- तुम लड़का कहीं से नहीं लगते !

दोनों ने मिलकर मेरे मम्मे लाल कर डाले, मैं पूरी नंगी उनके लंड चूस रही थी।

पहले वाले ने कहा- मुड़ जा, घोड़ी बन !

जैसे ही मैं बना, वो डालने लगा।

"रुको !" नमैंने उनको भी कंडोम दिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

"वाह मेरे लाल !" उसने लगाया और घुसा दिया। थोड़ी चुभन हुई, फिर ज़न्नत दिखने लगी। दूसरा सामने से मेरे मुँह को चोद रहा था।

जैसे उसने गाण्ड में अपना पानी निकाला तो दूसरे वाले ने घुसा दिया।

दोनों ने मुझे एक एक बार ठोका, बोले- अगला स्टेशन अम्बाला है, उसके बाद काफी आगे रुकेगी। अभी जा रहे हैं, टिकेट चेक करके लौटेंगे, यहीं सो जा !

फ्री होकर दोनों आये और दुबारा मुझसे चुसवाने लगे और फिर चोदा।

दोस्तो, मेरा सफर सफल हो गया !

जल्दी अगली चुदाई लेकर हाज़िर हो जाऊँगा !

आपका प्यारा सनी गाण्डू

पड़ोसन गीता की पीठ मालिश

पड़ोसन गीता की पीठ मालिश

हैलो दोस्तो, मेरा नाम पिंटो है, मैं मुंबई का रहने वाला हूँ।
मेरी तरफ से आप सभी के लंड और चूत को मेरा नमस्कार।

यह कहानी लड़कियों और भाभी की चूत में पानी लाएगी और मर्दो का लंड खड़ा हो जाएगा।

पहले मैं अपना परिचय देता हूँ, मैं 22 साल का लड़का हूँ, मेरा बदन स्लिम है, लेकिन मेरा लंड 8" लंबा और 2.5" मोटा है, इसका मतलब आप समझ सकते हो मेरा लंड कैसा होगा।

यह कहानी 5 साल पुरानी है जब मैं बारहवीं कक्षा की परीक्षा देकर मेरे गाँव गया था।

मेरे घर के बाजू में एक औरत रहती थी, उसका नाम गीता था, वो मुझे पहले से अच्छी लगती थी।

जब मैं गाँव जाता तो उसके घर में कोई ना कोई वजह से ज़रूर जाता। हम दोनों एक दूसरे के साथ खूब बातें किया करते थे।

एक दिन की बात है रात के 8 बजे थे, जब मैं उसके घर गया तब वो अपने कमर को पकड़े हुए खड़ी थी। वो घर में अकेली थी उसका पति मुंबई गया था किसी काम के सिलसिले में।

मैंने उससे पूछा- कमर क्यूँ पकड़ रखी है?

तो गीता ने जवाब दिया- कमर और पीठ में बहुत दर्द है !

आपको तो मालूम ही रहेगा गाँव में ज्यादातर लोग खाना ख़ा कर सोने की तैयारी करते हैं, उस समय वहाँ कोई नहीं था।

मैंने कहा- क्या मैं आपकी कमर और आपकी पीठ की मालिश करूँ?

तो उसने कहा- ठीक है, लेकिन कोई देख लेगा तो?

इस पर मैंने कहा- अब रात हो गई है सब सोने की तैयारी कर रहे हैं, अब हमें कौन देखने वाला है।

तो वो मान गई, उसने मुझे एक मलहम दिया और वो सोफे पर मेरे तरफ पीठ करके लेट गई। मैं मलहम लगा कर उसकी पीठ और उसकी कमर की मालिश करने लगा, उसने साड़ी पहन रखी थी इसके वजह से मुझे उसकी पीठ की मालिश करते वक़्त दिक्कत हो रही थी।

मैंने उसे कहा- आप अपने ब्लाउज के बटन खोलो तो मैं अच्छे से आपकी पीठ मालिश कर सकूँगा।

तो उसने वैसे ही किया, मैं उसकी पीठ की मालिश कर रहा था, उसी समय मेरा एक हाथ नीचे फिसल गया और उसके स्तन को जाकर टकराया, लेकिन वो कुछ नहीं बोली।

फिर क्या था, मैं बार बार वैसे ही करता गया और उसके स्तन दबाता गया। वो कुछ नहीं बोली, मैंने इसको इशारा समझ लिया और उसके स्तन दबाता रहा।

काफ़ी देर बाद उसने कहा- अब बस करो ! बहुत हो गया।

फिर मैंने मालिश करनी बंद की और मैं अपने घर आ गया।

फिर एक घंटे बाद मैं उसके घर फिर चला गया, वो सोने की तैयारी कर रही थी।

मैंने उसे पूछा- अब तुम्हारी कमर और पीठ दर्द हो रही है क्या?

उसने जवाब दिया- अच्छा हुआ तूने मेरी पीठ और कमर की मालिश कर दी, नहीं तो मैं उठ नहीं पाती।

फ़िर उसने कहा- आज रात तुम यहीं सो जाओ, मैं अकेली हूँ।

हम सोने की तैयारी करने लगे और मैं उसके बाजू में ही लेट गया। फिर थोड़ी देर बात हमने बात की लेकिन मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसके वक्ष पर हाथ रख दिया, उसने मेरा प्रतिकार नहीं किया तो मैंने उसको अपने नीचे लिया और उसे चूमने लगा।

उसे मालूम था कि वो मुझसे चुदने वाली है, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

फिर धीरे धीरे मैंने उसकी साड़ी उसके बदन से अलग कर दी और उसका ब्लाउज से उसके स्तनों को आज़ाद कर दिया, इससे उसके स्तन उछल पड़े, उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

मैंने उसके एक स्तन को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे स्तन को हाथ से रगड़ने लगा, इससे वो गर्म गर्म आहें भरने लगी।

फिर उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए मैं उसके सामने बिल्कुल नंगा था। वो मेरे लंड को हाथ में लेके ऊपर नीचे करने लगी। फिर मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसे भी नंगा कर दिया।

उसकी चूत पर बाल थे शायद उसने कई दिनों से अपने बाल साफ़ नहीं किए थे। यह कहानी आप अंतर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हो।

उसने मुझसे कहा- मैं तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ।

मैंने वैसे ही किया, मैंने 69 की पोज़िशन ले ली और उसके मुँह में लंड डाल दिया और मैं उसकी चूत चाटने लगा।

इससे वो बेकाबू होने लगी और थोड़ी देर में वो मेरे मुँह में झड़ गई पर मेरा लंड चूसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मैं भी उसके मुँह में झड़ गया, वो मेरा सारा पानी पी गइ और मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया।

कुछ ही पल में उसने मेरा लंड फिर से अपने मुँह में भर लिया और उसे पागलों की तरह चूसने लगी। मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा। इससे उससे रहा नहीं गया, मेरा लंड एकदम हो गया था, तब वो मुझसे बोली- अब रहा नहीं जाता, अब यह लंड मेरी चूत में डाल दे, बहुत दिन से मेरी चूत ने किसी का लंड नहीं देखा।

मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया, अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रख दिया और एक झटका दिया। इससे मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया लेकिन उसके मुँह से चीख निकल पड़ी और कहने लगी- साले हरामी ! थोड़े धीरे कर ! तेरा लंड बहुत बड़ा है, अब तक इतना बड़ा लंड मैंने नहीं लिया अपनी चूत में !

मैं धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर करने लगा, वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी। यह देख कर मैंने और जोर से झटका मारा, इससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया।

फिर से उसकी मुख से चीख निकल पड़ी- हराम के ! मार डाला रे तूने !

ऐसे वो बड़बड़ाती रही लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं उसको चोदता गया, थोड़ी देर बाद वो भी दोबारा मेरा साथ देने लगी और नीचे से अपनी कमर उछाल रही थी।

मैं समझ गया कि यह अब मूड में है, मैं उसे चोदता रहा। वो अपने मुँह से आवाज़ निकल रही थी- और ज़ोर से मेरे राजा ! और ज़ोर से ! फाड़ डाल आज मेरी चूत ! आज से मैं तेरी हो गई हूँ ! जैसे तू चोदेगा, वैसे मैं चुदूँगी !

मैंने उसे घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत में डालने लगा। मैं उसकी कमर को पकड़ कर आगे पीछे हो रहा था और वो भी मेरा साथ देते हुए खुद आगे पीछे हो रही थी, इससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा रहा था।

थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और मेरे नीचे लेट गई लेकिन मेरा पानी आना बाकी था, मैं उसको चोदते गया और थोड़ी देर बाद मेरा निकलने वाला था तो मैंने उसे कहा- मेरा छूटने वाला है, कहाँ छोड़ूँ?

इस पर वो बोल उठी- मेरे मुँह में छोड़ ! मैं तेरा पानी पीना चाहती हूँ।

मैंने लंड उसकी चूत से निकाल कर उसके मुँह में भर दिया और वो मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी। मेरा पूरा माल उसके मुँह में चला गया और वो सारा चिपचिपा पानी पी गई और मेरा लंड चूस चूस कर साफ कर दिया।

हम दोनो वैसे ही पड़े रहे, एक दूसरे को चूमते रहे, मेरा लंड फिर खड़ा हुआ तो इस बार मैंने उसको घोड़ी बना कर उसकी गाण्ड मारी उसकी गाण्ड से खून निकलने लगा था क्योंकि उसने पहली बार गाण्ड मरवाई थी।

मैंने मेरा पूरा पानी उसकी गांड में ही छोड़ दिया और मैं निढाल होकर उसके ऊपर ही सो गया।

फिर हमें जब मौका मिलता, हम ज़रूर सेक्स करते, कभी मैं उसकी गाण्ड मारता, कभी उसकी चूत मारता।

तो दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है, आपको कैसे लगी?

मुझे मेल करके आपके विचार भेजो।
 

चने देकर चोदा

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