मैडम की ज़वानी लण्ड की दीवानी
बात तब की है जब मैं कम्प्यूटर कोर्स करने के लिए आफटेक में जाता था। वहाँ पर सुमन नाम की हमारी टीचर थी। उसका रंग तो बिल्कुल साफ नहीं था लेकिन उसका फिगर शायद ही किसी से कम हो, दिखने में तो वो हुस्न की मालिका थी, मुझे वो बहुत अच्छी लगती थी, उसको देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था, लेकिन समस्या एक थी कि वो मुझसे एक साल बड़ी थी, लेकिन मैं कुछ ज़्यादा हेल्दी होने के कारण वो मुझसे बड़ी नहीं लगती थी। मैं उसका दीवाना बन गया था, मुझे सब कुछ पता होते हुए भी मैं उससे कुछ ना कुछ पूछता रहता ताकि वो मेरे पास ही रहे।
धीरे धीरे हम अच्छे दोस्त बन गये लेकिन तब तक उसके दिल मेरे लिए कुछ नहीं था। फिर ऐसे ही मैं उसका पीछा करने लगा और जब उसको घर जाना होता तो मैं वहाँ चला जाता और बोलता कि किसी कम से यहाँ आया हूँ ! और फिर मैं कभी-कभार उसको उसके घर भी छोड़ने चला चला जाता। लेकिन मैं उसको उसके घर के बाहर ही छोड़ता था क्योंकि इससे उसकी निजी जिन्दगी में समस्या हो जाती। फिर उसको भी मेरी आदत सी हो गई।
फिर एक दिन जब उसके घर जाने का टाइम हुआ तो काफ़ी तेज बारिश होने लगी, तब मैंने उसको अपने साथ चलने के लए बोला तो उसने माना कर दिया लेकिन मैंने उसको ज़ोर देकर मना लिया। जब हम निकले तो बारिश और भी तेज हो गई थी, हम दोनों बिल्कुल भीग गये थे और उसके उरोज मेरी कमर से लग रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मैं उत्तेजित भी हो रहा था। कुछ देर बाद उसको सर्दी लगने लगी तो मैंने बाइक और तेज कर दी और वो मुझसे चिपक गई।
फिर हम उसके घर तक पहुँच गये और मैंने उसको उतारा और चलने लगा तो उसने बोला- तुम काफ़ी भीग गये हो, चाय पीकर जाना ! मैंने मना किया लेकिन वो नहीं मानी।और फिर हम दोनों अंदर गये उसके पति ऑफिस गए हुए थे, घर पर मेरे और उसके अलावा कोई नहीं था। वो बिल्कुल भीग गई थी और उसके वक्ष के उभार टीशर्ट में से बिल्कुल साफ दिख रहे थे, उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी और उसने मुझे बाईक पर ही गर्म कर दिया था। तब से मेरा लण्ड खड़ा ही था जो मेरी फॉर्मल पैंट से साफ दिख रहा था और शायद उसने देख भी लिया था। उसने मुझे बैठने को कहा और वो वॉशरूम में अपने कपड़े बदलने चली गई।
पाँच मिनट बाद वो नाइटसूट पहन कर आ गई लेकिन उसने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसके चूचे बहुत मस्त लग रहे थे। फिर उसने मुझसे कपड़े बदलने के लिए बोला तो मैंने मना कर दिया।
वो चाय बनाने के लिए रसोई में गई और थोड़ी देर बाद वो चाय बनाकर ले आई, हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे और बातें करने लगे। मेरी तो नज़र उसके वक्ष पर थी और उसको पता भी था कि मैं उसकी छाती को देख रहा हूँ और उसने मेरे खड़े लण्ड को देख कर मेरे दिल की तमन्ना जान ली तो उसने मुझसे कहा- तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेन्ड है?
मैंने मना किया तो वो बोली- सच सच बताओ !
तो मैंने बता दिया- नहीं है।
तब वो बोली- तभी तुम मुझे इतनी प्यासी नज़र से देख रहे हो।
तब मैं तो पानी पानी हो गया और मेरा लण्ड एकदम से बैठ गया। मैं बिल्कुल चुप हो गया तब सुमन बोली- अरे क्या हुआ? तुम चुप क्यों हो गये? मैंने बोला- कुछ नहीं !
तो बोली- हम अच्छे दोस्त हैं, मुझसे भी क्या शर्माना !
तब मेरा डर कुछ कम हुआ और मैं समझ गया कि आज इसका भी इरादा ठीक नहीं है, तब मैं बोला- मैडम, आप इतनी सेक्सी और हॉट हो कि क्या करूँ, नज़र हटती ही नहीं।
तब वो बोली- कभी सेक्स किया है?
मैंने बता दिया- हाँ, एक बार एक रंडी के साथ किया था।
तो वो नाराज़ सी होकर बोली- ऐसे कम मत किया करो !
तब मेरी भी हिम्मत बढ़ गई, मैंने उसकी चूची को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा- मैडम, आप बहुत मस्त हैं।
तो वो बोली- यह क्या कर रहे हो?
तब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके स्तनों को दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से सहलाना शुरू कर दिया। अब वो भी कुछ गर्म होने लगी, फिर मैंने उसको अपनी बाहों में ले लिया और उसके सारे बदन को सहलाने और चूमने लगा। अब वो बिल्कुल गर्म हो गई थी।
अब मैं उसको उसके बेडरूम में ले गया और उसके चूचों को कपड़ों के ऊपर से ही बारी बारी अपने मूँह में लेकर चूसने लगा। वो आहह आहह की आवाज़ निकालने लगी। अब वो बिल्कुल गर्म हो गई थी, उसने मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से पकड़ा और मसलने लगी।
और फिर उसने मेरी पैंट निकाली और फिर सारे कपड़े उतार कर मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया और मेरे लण्ड को मुँह में लेने लगी लेकिन मेरा लण्ड थोड़ा मोटा ज़्यादा है और लंबा भी इसलिए मेरा लण्ड उसके मुँह में ठीक से नहीं जा रहा था।
फिर मैंने उसको खड़ा किया और उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसके सारे बदन को अपने हाथों से सहलाया और चूमा।
फिर मैंने उसको बिस्तर पर सीधा लिटाया और उसकी टाँगें खोल दी और उसकी चूत चाटने लगा और धीरे धीरे मैं अपनी जीभ अंदर डालने लगा और वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींचने लगी और थोड़ी देर बाद उसने पानी छोड़ दिया, बोली- अब मुझसे नहीं रहा जाता अब जल्दी से अंदर डालो !
तब मैंने उसकी दोनों टांगों को खोल कर अपना लण्ड उसकी टाँगों के बीच रख कर चूत में घुसाने लगा लेकिन अंदर आसानी से नहीं जा रहा था। तब मैंने अपने लण्ड पर थूक लगाया और एक झटका लगाया और मेरा आधा लण्ड अंदर चला गया और उसने ज़ोर से चीख मारी और बोली- आराम से !
क्योंकि मेरा लण्ड सामान्य से थोड़ा बड़ा है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
फिर मैंने धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया और फिर तेज़ी से एक और झटका मारा और मेरा पूरा लण्ड अंदर चला गया। उसकी फिर से चीख निकली और मैं ऐसे के ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा। फिर एक मिनट बाद मैंने फिर से झटके मारने शुरू किए। अब उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।
और 20 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गये। उस दिन मैंने उसको तीन बार ओदा। और फिर कुछ देर हम चिपक कर लेटे रहे, और फिर कहने लगी- मैं शादी से पहले भी अपने बॉयफ़्रेंड से चुदी हूँ और अपने आदमी से भी, लेकिन तुमसे जो मज़ा आया वो कभी नहीं आया।
और उसके बाद मैंने उसको बहुत बार चोदा लेकिन फिर वो लोग बेंगलौर चले गये। उससे फोन पर तो बात होती है, बोल रही थी कि जब गुड़गाव आऊँगी तब तुमसे ज़रूर मिलूँगी, खूब मस्ती करेंगे।
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