चूत का मसाला
करीब छह महीने पहले मैंने एक नया कमरा किराये पर लिया। मेरी बीवी अभी पूना में होने के कारण मैं यहाँ अकेला ही रह रहा हूँ। नई कमरे के पड़ोस में ही एक परिवार रहता है, राजेश मेडिकल कंपनी में है, उसकी बीवी मीरा लगभग 35 साल की है पर क्या माल है, क्या बताऊँ !
उसके चूचे और चूतड़ देखकर किसी के भी मुँह में पानी आ जाये। एकदम विद्या बालन के माफिक ! उनका 15 साल का एक लड़का है, वो मुंबई में पढ़ाई करता है। पर जिस दिन से मैंने मीरा को देखा उस दिन से मेरा लंड उसे चोदने के लिए तड़प रहा था। मैं जब भी उसे देखता, मेरा लंड पैंट में ही तम्बू खड़ा कर देता। वो भी मेरी नजर को जान चुकी थी पर मैं हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
तभी भगवन ने मेरी सुन ली।
मैं शाम को करीब 6 बजे रूम पर लौटा ही था, तभी सामने वाली खिड़की से मीरा ने मुझे आवाज दी। धीरे धीरे जान-पहचान बढ़ने से मैं उससे बात कर लेता था पर आज उसके अचानक आवाज देने से मैं चोंक गया।
मैंने देखा कि वो कुछ परेशान दिख रही थी, मैंने पूछा- क्या बात है?
उसने मुझे घर में आने को कहा। मैं जैसे ही घर में पहुँचा, तो वो सोफे पर लेटी हुई थी, मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने रोती सूरत बना कर कहा- देखो, यह बात तुम किसी से नहीं कहोगे...
मैंने कहा- बात क्या है? मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा...
फिर वो हिचकिचाते हुए कहने लगी- ..राजू... के पिताजी... यानि मेरे पति... राजेश मेरी इच्छा पूरी नहीं कर पाते इसलिए मैं और चीजों से काम चलाती हूँ, वो कल से गाँव गए हैं, मैं आज बाजार खरीददारी करने गयी थी.. मैंने सब्जी खरीदते समय अच्छे और लम्बे बैंगन ख़रीदे थे। घर आते ही मेरी नजर बैंगन पर पड़ी और मेरी अन्दर की आग सुलग गई। मैंने बैंगन पर वेसलिन लगाकर अपनी टाँगों के बीच में रगड़ना शुरू किया, मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसी मदहोशी में मैंने बैंगन को अन्दर-बाहर करना शुरू किया। इसी बीच बैंगन पूरा अन्दर तक डाल दिया और उसके डंठल को पकड़कर खींचने लगी। तभी अचानक बैंगन पूरा अन्दर गया, मैं उसे बाहर खींचने लगी पर डंठल टूटकर हाथ में आ गया। पिछले तीन घण्टे से कोशिश करने के बावजूद भी मैं उसे बाहर नहीं निकाल पाई। मैं ठीक से चल भी नहीं सकती हूँ, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज मुझे इससे छुटकारा दिलाओ !
ऐसा कह कर वो रोने लगी !
पर ये सब सुनकर मेरा खड़ा हो गया था, मैंने कहा- एक बार मैं कोशिश करता हूँ..
वो बिना कुछ कहे मान गई, मैंने उसका गाउन ऊपर उठाया, छेड़खानी से उसकी चूत पूरी लाल हो चुकी थी, मुझे लगा अभी मुँह लगाकर चूस लूँ !
मैंने उसके दोनों पैर ऊपर उठा कर चूत का दरवाजा खोल दिया, बैंगन का मुँह साफ़ दिखाई दे रहा था पर 5 इंच लम्बा बैंगन चूत के अन्दर फंसा था, मैं उसे निकलने की नाकाम कोशिश कर रहा था। वेसलिन की वजह से बैंगन हाथ से छुट रहा था, कुछ समय बाद हार मान कर मैंने कहा- देखो, इसे निकालना सिर्फ डॉक्टर के बस की बात है।
वो कहने लगी- नहीं, डॉक्टर को मालूम हुआ तो मेरी बेइज्जती होगी...
मैंने कहा- तुम उसकी फ़िक्र मत करो, मेरा एक दोस्त डॉक्टर है, उसे बुला लेते हैं।
नानुकर के बाद वो मान गई। मैंने डॉक्टर हरीश को फोन लगाया और उसे पूरा किस्सा फोन पर ही सुना दिया। आधे घंटे बाद हरीश पहुँचा, उसने मीरा को देखकर सीटी बजाई और बोला- इतना बड़ा लंड तुम्हारे पड़ोस में होकर बैंगन क्यों घुसा रही हो...
उसकी बेधड़क बात सुन कर मीरा शरमा गई...
हरीश ने मुझे उसकी दोनों टांगें पकड़ने को कहा और उसकी चूत पर एक्स्पोज़र लगाया।अब चूत के अन्दर का साफ साफ दिख रहा था, नाख़ून लगने से अन्दर जख्म हुए थे।
हरीश ने अपने औजारों से बैंगन के टुकड़े करके बैंगन चूत से निकाला तो मीरा के चेहरे पर छुटकारे का आनन्द दिख रहा था...
उसने कहा- थेंक यू डॉक्टर...
हरीश ने कहा- मैं आपको यह मलहम देता हूँ.. इसे दिन में दो बार अन्दर लगाइएगा.. 4-5 दिन में जख्म ठीक हो जायेंगे... चेक अप लिए जरूर आइयेगा...
वो उठने लगा तो मीरा ने पूछा- आपकी फ़ीस?
हरीश बोला- फ़ीस तो हम दोनों लेंगे पर पहले ठीक हो जाओ.. हम दोनों के बैंगन तुम्हारी चूत में जाने के लिए बेताब हैं...
हम दोनों हंस पड़े और वो शरमा गई।
हरीश के जाने के बाद मीरा बोली- विनोद, आज तुम नहीं होते तो मेरा क्या हाल हुआ होता...
मैंने कहा- अब घबराओ मत, इसके बाद तुम्हे बैंगन की जरूरत नहीं पड़ेगी...
ऐसा कह कर मैंने उसके लबों को चूम और चूस भी लिया... यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसने कहा- अब मलहम लगा दोगे प्लीज...
फिर क्या ५ दिन तक उसके पति के ऑफिस जाने के बाद और आने से पहले मैं मलहम लगाने जाता रहा... 5 दिन के बाद चेकअप करने के लिए मैंने हरीश से वक्त लिया... उसने दोपहर को लंच टाइम में आने को कहा।
मैं और मीरा समय पर पहुँच गए... हरीश का छोटा सा क्लिनिक था...
उसने डॉक्टर आउट का बोर्ड लटकाकर हमें अन्दर बुला लिया। उसके बाद हरीश ने मीरा की सलवार उतारकर चूत चेक की और बोला- अरे वाह, तुम्हारी चूत तो अब बैंगन घुसाने के लिए एकदम तैयार है...
मीरा बोली- नहीं अब फिर नहीं करुँगी...
हरीश हंसकर बोला- ..जी, मैं हमारे बैंगन की बात कर रहा हूँ... यही तो हमारी फ़ीस है।...ऐसा कहते हुए हरीश ने उसके होंठ चूमते हुए मम्मे दबाने शुरू किये... मैं भी शुरू होगया... मैंने उसकी कमीज उतार कर ब्रा सरकाते हुए मम्मे चूसना शुरू किया.. उसकी चूत एकदम साफ और चिकनी थी... मुझे उस दिन की याद आई और मैंने सीधा उसकी चूत पर मुँह रख दिया... इधर मैं चूत और उधर हरीश मम्मे चूस रहा था..
मीरा अब गर्म होने लगी थी, मेरे मुँह पर चूत रगड़ते हुए... आह... उई माँ... उफ़... ईई... आह... आ... करने लगी।
तभी डॉक्टर ने मुझे हटाते हुए अपना मुँह चूत पर लगा दिया। मीरा एग्ज़ामिनेशन टेबल पर लेटी हुई थी.. मैंने अपने कपड़े उतार कर 8 इंच का लंड उसके मुँह में दे दिया। वो उसे मजे से चूस रही थी... अब डॉक्टर ने अपने कपड़े उतार कर उसकी चूत में लंड डाल दिया।
अब उसे और मजा आने लगा- ...चोदो मुझे... जोर से... और जोर... से.. स...आह...उफ़...करो...राजा...चोदे मुझे... कह कर चुदने लगी.. उसकी आवाजें सुन कर डॉक्टर ने गति बढ़ा दी... वैसे ही उसने जोरसे मेरा लंड चूसना शुरू किया...
तभी हरीश ने लंड बाहर निकलते हुए उसका मुंह खीचते हुए लंड मुँह में ठूंस दिया... मैंने मौका पाकर मीरा की चूत पेलनी शुरू की। हरीश ने सारा माल उसके मुँह में डाल दिया और वो मजे से पीने लगी।
इधर मैं धक्के पे धक्के मारे जा रहा था.. इस बीच मीरा दो बार झड़ चुकी थी... मैंने जैसे ही गति बढ़ाई तो वो अपने हाथ से चूत मसलते हुए आह... और जोर चोद मुझे... मेरी प्यास बुझा... आह... उई...मर... गयी... इ इ... स...स...कहते हुए झड़ने लगी।
मैं अब चरम सीमा पर था, मैंने आख़िर के धक्के मारते हुए सारा माल चूत में डाल दिया।
कुछ देर बाद वो सामान्य हुई तो बोली- विनोद, तुमने तो सारा माल अन्दर डाल दिया ..अब गड़बड़ हो गई तो?
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